गैरजरूरी
जरूरी से गैरजरूरी हो जान
बहुत सालता है
मैं घर की सबसे गैरजरूरी चीज हूं
अन्य कबाड़ा सामान की तरह
मैं भी अखरने लगा हूं
किसी को फुरसत नहीं
कि मुझसे बात करे
पहले महीने की आखिरी तारीख को
सबको रहता था इंतजार मेरा
हर शाम को चाकलेटी
स्नेह की आश होती थी
सब दूर है आज
क्योंकि सब जानते है
सूखे पेड़ छाया नहीं देते
बल्कि एक डर देते है
असमय गिरने का....
जरूरी से गैरजरूरी हो जान
बहुत सालता है
मैं घर की सबसे गैरजरूरी चीज हूं
अन्य कबाड़ा सामान की तरह
मैं भी अखरने लगा हूं
किसी को फुरसत नहीं
कि मुझसे बात करे
पहले महीने की आखिरी तारीख को
सबको रहता था इंतजार मेरा
हर शाम को चाकलेटी
स्नेह की आश होती थी
सब दूर है आज
क्योंकि सब जानते है
सूखे पेड़ छाया नहीं देते
बल्कि एक डर देते है
असमय गिरने का....
तकलीफ
बहुत तकलीफ होती है
जब शब्द जुबान पर
दहीं से जम जाते है।
बहुत काले अक्षर
जब पढ़ाई में नहीं आते
या उनके अर्थ बदल दिए जाए
अपनी सहुलियत के अनुसार
आसमान जब साफ होता है
और अचानक से काले बादल
आ धमकते है
और मेरी छत
किसी मार खाई औरत की
तरह टूटी हुई होती है
उदास शाम को
ड्योढ़ी चढ़ते ही
बेटी का तकाजा
और मेरी जेब
बूढ़ी औरत के मुँह जैसी खाली
बहुत छोटा बच्चा
जब कुत्तो से होड़ करता हुआ
रंगीन पत्तो से
वक्त काटने की मोहलत खोजता है
बहुत तकलीफ होती है।
चट्टान
शहर जब बढ़ रहा होता है
कोई न कोई मर रहा होता है
नर्मायी सिर्फ जमीन से ही नहीं
दिलो से भी साफ हो जाती है
रह जाती हे केवल चट्टान ....
- पता -
5/ 345, त्रिलोकपुरी
दिल्ली - 110091
मो. 0882999518
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