हरदीप बिरदी
देखो ना बारिश हो रही है,पर इक तेरी कमी है,
हवा है भीनी भीनी सी,पर मेरे लिए ये थमी है।
लोगों के लिए है ख़ुशी,सब के चेहरे पर रौनक,
मुझे देख हैं हैरान सब,इसको न जाने क्या गमी है।
सब हो गया है नया सा,पानी ने साफ़ कर दी धूल,
मेरा ही नहीं हुआ उद्धार,यादों की जो धूल जमी है।
रम गया है पानी जमीं में,प्यास बुझी धरती की,
सूखे मन पे न असर हुआ,तेरी याद जो रमी है।
हवा है भीनी भीनी सी,पर मेरे लिए ये थमी है।
लोगों के लिए है ख़ुशी,सब के चेहरे पर रौनक,
मुझे देख हैं हैरान सब,इसको न जाने क्या गमी है।
सब हो गया है नया सा,पानी ने साफ़ कर दी धूल,
मेरा ही नहीं हुआ उद्धार,यादों की जो धूल जमी है।
रम गया है पानी जमीं में,प्यास बुझी धरती की,
सूखे मन पे न असर हुआ,तेरी याद जो रमी है।
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