मनोज कुमार शुक्ल '' मनोज ''
नव संवत्सर आ गया, खुशियाँ लाया द्वार ।
सभी लोग खुश हो रहे, दें बधाई उपहार ।।
ब्रम्हा ने जब सृष्टि की, रचना की प्रारम्भ ।
नव संवत्सर है गढ़ा, सतयुग से आरम्भ ।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को, आता है नव वर्ष।
धरा प्रकृति मौसम हवा, मन को करता हर्ष ।।
नवमी में जन्मे प्रभु ,अवध पुरी के राम ।
राजपाट कर बन गये, आदर्शों के धाम ।।
नगर अयोद्धा में रहा, हरषित हर पल छिन ।
राज तिलक प्रभु का हुआ, नव रात्रि शुभ दिन ।।
सूर्यवंश के राज्य से, रोशन हुआ जहान ।
चक्रवर्ती राजा बने, विक्रमादित्य महान ।।
राज्य सुरक्षा में निपुण, चर्चित रहे सम्राट ।
शक हूणों औ यवन से, रक्षित किया यह राष्ट्र।।
प्रजा पालक थे अमर, न्याय प्रिय सरताज ।
विक्रम सम्वत् नाम से, गणना का आगाज ।।
माँ देवी की अर्चना, वंदन औ फलाहार ।।
आज दिवस गुड़ि पाड़वा, चेटी चंड त्योहार ।
पता-
58, आशीष दीप उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर ( म.प्र.)
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