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वीरेन्द्र बहादुर सिंह |
- वीरेन्द्र बहादुर सिंह -
छत्तीसगढ़ की समृद्धशाली लोक सांस्कृतिक परंपरा में रचे बसे गीतों और विलुप्त होती लोक धुनों को परिमार्जित कर तथा आधुनिक कवियों की छत्तीसगढ़ी रचनाओं को स्वरबद्ध कर उसे लोकप्रियता की दृष्टि से फिल्मी गीतों के समकक्ष खड़ा देने वाले संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित स्वनाम धन्य लोक संगीतकार खुमान लाल साव सही अर्थों में छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक दूत है, जिन्होंने अपनी विलक्षण संगीत साधना और पांच हजार मंचीय प्रस्तुतियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ महतारी का यश चहुंओर फैलाया है।
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मेघदूत थियेटर नई दिल्ली में अपनी प्रस्तुति देते हुए '' चंदैनी गोंदा '' के कलाकार |
' चंदैनी गोंदा ' के उद्भव के पूर्व छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का पारंपारिक स्वरूप ज्यों का त्यों गांवों, खेतों, खलिहानों में उत्सव के राग रंगों और नाचा गम्मत की टोलियों तक ही सीमित था। ' चंदैनी गोंदा ' के माध्यम से श्री खुमान साव ने यत्र तत्र बिखरे हुए बहुप्रचलित पारंपारिक लोक गीतों कर्मा, ददरिया, नचौरी, सुआ, गौरा, विवाह गीत, बसदेवा गीत, सोहर, भोजली, पंथी तथा देवी जसगीतों को उनकी मौलिकता बरकरार रखते हुए परिष्कृत और परिमार्जित कर अपने कर्णप्रिय संगीत के द्वारा लोकप्रिय बना दिया। छत्तीसगढ़ी पारंपारिक लोक गीतों के अलावा श्री साव ने छत्तीसगढ़ के स्वनाम धन्य कवियों द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र', स्व. प्यारे लाल गुप्त, स्व. हरि ठाकुर, स्व. हेमनाथ यदु, पं. रविशंकर शुक्ल, लक्ष्मण मस्तुरिया, पवन दीवान एवं मुकुंद कौशल के गीतों को संगीतबद्ध कर उसे जन जन का कंठहार बना दिया।
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मेघदूत थियेटर नई दिल्ली में अपनी प्रस्तुति देते हुए '' चंदैनी गोंदा '' के कलाकार |
श्री खुमान साव का मन कभी कभी आज के बदले परिवेश में गीतों के स्तर, द्विअर्थी भावों और संगीत की मूलभूत लोक संरचना में आई विकृतियों से आहत हो जाता है। वे चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति की धरोहर सुरक्षित और संरक्षित रहे। 87 वर्ष की उम्र के बावजूद श्री साव की लगन, समर्पण, आत्मनिष्ठा और छत्तीसगढ़ की माटी के प्रति मोह का वही स्वरूप आज भी ' चंदैनी गोंदा ' मंच पर देखने को मिलता है। 87 वर्ष की आयु में भी पूरी रात ' चंदैनी गोंदा ' के मंच पर हारमोनियम की रीड पर ऊंगलियंा चलाते श्री साव को देखना अद्भुत अनुभव है।
धुन के पक्के श्री साव में गजब की सांगठनिक क्षमता हैै। ' चंदैनी गोंदा ' की साढ़े चार दशकों की यात्रा के दौरान अनेक कलाकार ' चंदैनी गोंदा ' से जूुड़े और श्री साव के कुशल निर्देशन में अपनी प्रतिभा को तराशा। बाद में कई कलाकारों ने धीरे धीरे अपना अगल आशियाना भी बना लिया, लेकिन श्री साव कभी भी विचलित नहीं हुए। नैसर्गिक कलाकारों को तलाश कर उन्हें तराशना, मंच, नाम, दाम और सम्मान देना तथा उनके सुख-दुख में सहभागी बनना श्री साव की खास विशेषता रही है। अत्यंत स्वाभिमानी श्री साव ने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। अनुशासन के प्रबल पक्षधर श्री साव जुबान से कड़े जरूर हैं, लेकिन उनका हृदय बच्चों की तरह कोमल है। उनकी डांट में भी हमेशा एक अभिभावक की समझाईश होती है।
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मेघदूत थियेटर नई दिल्ली में अपनी प्रस्तुति देते हुए '' चंदैनी गोंदा '' के कलाकार |
श्री साव को अभी हाल ही में विगत 4 अक्टूबर 2016 को छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान के लिए प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 2015 से सम्मानित किया गया है। महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य एवं गरिमामय समारोह में उन्हें सम्मानित किया। सम्मान समारोह के दूसरे दिन श्री साव ने मेघदूत थियेटर नई दिल्ली में अपनी 31 सदस्यीय टीम के साथ मात्र 55 मिनट की प्रस्तुति में छत्तीसगढ़ी पारंपरिक लोकगीत, नृत्य एवं कर्णप्रिय संगीत की सरिता बहाकर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के बौद्धिक वर्ग को न केवल छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की लोकप्रियता से परिचित कराया, अपितु प्रभावी प्रस्तुति की धाक भी जमाई।
बहरहाल अपने समय की किवदंती बन चुके श्री खुमान साव छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के जिंदा इतिहास हैं। उनके द्वारा संगीतबद्ध लोक गीत चिरस्थायी है। उनकी संगीत साधना से अमर कालजयी गीत रचनाएं छत्तीसगढ़ की धरोहर है। उनकी अनवरत संगीत साधना आज भी जारी है।
संपर्क : 4/5 बल्देव बाग,
वार्ड क्रमांक-16, बालभारती स्कूल के पीछे,
राजनांदगांव ( छत्तीसगढ़़ ) मो. नं-94077-60700
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