महेश कटारे '' सुगम ''
फरेबों और फसानों को हक़ीकत मान बैठे हैं
हम अपने कै़दखानों को जन्नत मान बैठे हैं
ज़माना कर रहा है आज जिनके नाम से नफ़रत
हम उनकी सोहबतों को अपनी इज्ज़त मान बैठे हैं
हमे मालूम है सच बोलना जिनकी नहीं आदत
उन्हीं की झूठी बातों को जमानत मान बैठे हैं
मेरे ह$क बात कहने से उन्हें तक़लीफ होती है
सुगम के दर्द को भी वो शिकायत मान बैठे हैं
हम अपने कै़दखानों को जन्नत मान बैठे हैं
ज़माना कर रहा है आज जिनके नाम से नफ़रत
हम उनकी सोहबतों को अपनी इज्ज़त मान बैठे हैं
हमे मालूम है सच बोलना जिनकी नहीं आदत
उन्हीं की झूठी बातों को जमानत मान बैठे हैं
मेरे ह$क बात कहने से उन्हें तक़लीफ होती है
सुगम के दर्द को भी वो शिकायत मान बैठे हैं
पलेटियर का तालाब,चन्द्रशेखर वार्ड, बीना (म.प्र.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें