सशील यादव
जिन नोटन की बात करत हैं,उसकी महिमा अपरंपार
नोन.तेल, राशन.पानी, खरीद फरोख्त ये अधार
बड़का नोट तिजौरी शोभा, छुटका लिपट रहे अखबार
सूना - सूना सब नेग भयो, दुआर. चार टीका बिसार
ननद न पूछे भौजाई को, देवर नखरे भुलय हजार
उतरे रिश्ते पालिश सारे, समय चाबुक पड़ी है मार
काले नोट तिजौरी रख लो, सफेद धर दो जग बगराय
इसी सोच के लोगन ही, घूमे.फिरते मुह लटकाय
बिना नोट के रोवन लागे, सकल बानिया.सेठ बजार
बिना नोट के कौन उतारे, तूफानी नदिया के पार
फील करते मरियल बइल सा, क्लर्क.अफसर नव - अवतार
खुशबू नोट जरा सूंघा दो, सरपट चले तेज रफ्तार
दाम, बढ़ती मंहगाई से, फर्क न लागे धुंआधार
जिनके घर धन.काला साथी, मिलता हो अकूत भंडार
नोट से सभी काम जुड़े हैं, चाहे कि पेंटर हो सुनार
जनता नारों फिर गूँज सुने मोहक.मनभावन सरकार
सुशील यादव
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