इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख : साहित्य में पर्यावरण चेतना : मोरे औदुंबर बबनराव,बहुजन अवधारणाः वर्तमान और भविष्य : प्रमोद रंजन,अंग्रेजी ने हमसे क्या छीना : अशोक व्यास,छत्तीसगढ़ के कृषि संस्कृति का पर्व : हरेली : हेमलाल सहारे,हरदासीपुर दक्षिणेश्वरी महाकाली : अंकुुर सिंह एवं निखिल सिंह, कहानी : सी.एच.बी. इंटरव्यू / वाढेकर रामेश्वर महादेव,बेहतर : मधुसूदन शर्मा,शीर्षक में कुछ नहीं रखा : राय नगीना मौर्य, छत्तीसगढ़ी कहानी : डूबकी कड़ही : टीकेश्वर सिन्हा ’ गब्दीवाला’,नउकरी वाली बहू : प्रिया देवांगन’ प्रियू’, लघुकथा : निर्णय : टीकेश्वर सिन्हा ’ गब्दीवाला’,कार ट्रेनर : नेतराम भारती, बाल कहानी : बादल और बच्चे : टीकेश्वर सिन्हा ’ गब्दीवाला’, गीत / ग़ज़ल / कविता : आफताब से मोहब्बत होगा (गजल) व्ही. व्ही. रमणा,भूल कर खुद को (गजल ) श्वेता गर्ग,जला कर ख्वाबों को (गजल ) प्रियंका सिंह, रिश्ते ऐसे ढल गए (गजल) : बलबिंदर बादल,दो ग़ज़लें : कृष्ण सुकुमार,बस भी कर ऐ जिन्दगी (गजल ) संदीप कुमार ’ बेपरवाह’, प्यार के मोती सजा कर (गजल) : महेन्द्र राठौर ,केशव शरण की कविताएं, राखी का त्यौहार (गीत) : नीरव,लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की नवगीत,अंकुर की रचनाएं ,ओ शिल्पी (कविता ) डॉ. अनिल कुमार परिहार,दिखाई दिये (गजल ) कृष्ण कांत बडोनी, कैलाश मनहर की ग़ज़लें,दो कविताएं : राजकुमार मसखरे,मंगलमाया (आधार छंद ) राजेन्द्र रायपुरी,उतर कर आसमान से (कविता) सरल कुमार वर्मा,दो ग़ज़लें : डॉ. मृदुल शर्मा, मैं और मेरी तन्हाई (गजल ) राखी देब,दो छत्तीसगढ़ी गीत : डॉ. पीसी लाल यादव,गम तो साथ ही है (गजल) : नीतू दाधिच व्यास, लुप्त होने लगी (गीत) : कमल सक्सेना,श्वेत पत्र (कविता ) बाज,.

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

मा्र्गदर्शक मंडल उर्फ मूर्तियां

संगीता गांधी 

अपने अलाने जी ने एलान किया - अब से अपने दल के सभी बड़े बुजुर्ग फलाने मार्गदर्शक मंडल में जाएंगे।
सारे फलाने यूँ तड़प उठे मानों पजामे में चींटी घुस गयी हो।
- ये तो गलत है। अलाने जी, हम सब तो अभी जिंदा हैं! हमें मूर्तियाँ काहे बना रहे हैं?
- मार्गदर्शक मंडल में भेज रहे हैं, मरने के बाद आप लोगों की मूर्तियाँ भी बनवा देंगें।
अलाने जी ने खीसें निपोरते हुए कहा।
- ये क्या बात हुई, हम क्या समझते नहीं! मार्गदर्शक मंडल का मतलब मूर्ति बनाकर एक साइड पर बिठा देना ही है।
एक सबसे बुजुर्ग फलाने जी फट पड़े।
- बुजुर्ग फलाने जी चुप रहिए, जो बनाया जा रहा है, बन जाइये! दूसरे दल में देखिए बुजुर्ग अध्यक्ष को दफ्तर से उठा कर बाहर पटक दिया गया था।
एक मैडम ने सारे दल को मूर्ति बनाकर रखा है! प्रधान सेवक तक मूर्ति को बना दिया!
आप लोगों को तो सम्मान से मार्गदर्शक मंडल दिया जा रहा है।
अब उसमें आप खुद को मूर्ति समझें या जिंदा इंसान ये आप लोगों की मर्जी!
अलाने जी ने दो टूक फैसला सुना दिया।
सारे फलाने चुप हो गए। एक बोला - हमें कहीं का राज्यपाल ही बना दें।
अलाने जी ठहाका मार कर हँसे - भाई फलाने, वो भी तो मूर्ति ही होता है। हाँ, चलिये जो ज्यादा तड़प रहे हैं,उन्हें पूर्ण राज्यों का राज्यपाल बना देते हैं। मूर्ति बनकर वहाँ बैठे रहें।
पर अपने सबसे तेज तर्रार फलाने को हम एक केंद्र शासित प्रदेश का राज्यपाल बनाएंगे। कारण उधर का मुख्यमंत्री बहुत धरना देता है। उसके धरने को जो धर दे वो बन्दा चाहिए।
- हम मार्गदर्शक मंडल की मूर्ति ही रहेंगे क्या? बुजुर्ग फलाने फिर तड़पे!
-  फलाने जी, जिस धरने वाले कि बात कर रहे हैं, उसने अपने दल के सारे पुराने माल को बाहर फेंक दिया है। हम आप लोगों को स्टोर रूम में सहेज रहें हैं! शुक्र मनाइये!
अलाने जी ने जबरदस्त जुमला उछाला।
 - चलिए अलाने जी, हम मार्गदर्शक मंडल की मूर्ति बनने को तैयार हैं। पर इस स्टोर रूम की मूर्ति को कभी - कभी बाहर निकाल कर कोई उदघाटन, फीता कटवाने का काम तो करवा लीजिएगा!
 - हाँ, ये बात मान लेते हैं, वैसे भी आप तो जिंदा मूर्ति हैं। इस देश में तो कई सदियों पुरानी मूर्तियों पर भी राजनीति हो जाती है।
सारी मूर्तियाँ जोर से हा हा हा करने लगीं।

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