चित्रकार 1
यह एक महान चित्रकार है
धरती या पाताल का क्या रंग है
कोई रंग नही है,अंधकार नहीं है
ऐसा लगता है कुछ और ही है
एक लय जलती रहती है
ऐसा लगता है कि मौत करीब है
एकदम सुनसान जगह पर
जहाँ पर सिर्फ खामोशी छाई है
चित्रकार सिर्फ देख रहा था
सदियो से बनाई हुई अपनी मास्टरपीस,
कागज या कॅन्वास पर
बनी हर पैंटिंग,
क्या है इस चित्रकारी में
इन पैंटिंग्स में
अपनी कला में !!
कोई दर्द या दुख छुपा है इन कलाकृतियों में
कोई रिश्ते है इनसे
मास्टरपीस हो या कोई अन्य चेहरा
कभी वह स्टिल लाइफ बन जाता है
कभी एक वास्तविकता दिखाई देता है
लेकिन यह चित्रकार चला गया
एक शांत नगर में...
सो गया इस धरती में
जब कोई इस महान चित्रकार का
अद्भुत पैंटिंग या चित्रकारी देखेगा
तो कोई भी इंसान एक बार नही बारंबार
चौंक जायेगा!!
ऐसा लगता है की सब कुछ
शांत हो गया है
एक जो आंदोलन था
थम सा गया है
क्या यह चित्रकार का पागलपन था
जो मास्टरपीस बनाते - बनाते सो गया
क्या यह धरती का पागलपन है?
चित्रकार हमेशा एक नयी दिशा ढूंढता रहता था !!
मेरी यात्रा 2
क्या लिख सकता हूँ
मेरी यात्रा, चार कंधो पर सोया हूं
इस अपनी श्मसान यात्रा में
कफन ने सभी जब्त कर लिया है
रात्रि की सुगंध,
जितनी भी थी जमा पूंजी और कुछ उधारी
शब्द अब है मेरे अंतराल में,
कितने छटपटाते हैं शब्द
मेरे रक्त में शामिल
बहुत नींद आ रही है
एक नयी दुनिया में प्रवेश हो रहा है मेरा
मन होता है, एक बार
देख लूँ जी भर कर अपनी प्रियतमा को
लेकिन नींद इतनी गहरी है
कुछ देख नहीं पा रहा हूँ मैं
रक्त धीरे - धीरे एक बिंदु हो कर
समा जाता है मेरे शरीर में
कितने युग,शताब्दी बीत गए
क्या लिखी मैंने
कोई ऐसी कविता,गीत,
अक्षरों को ले कर क्या
एक संगीत या धून सजा पाया मैं
कोई बेमिसाल पंक्ति लिख पाया
यह एक एपिटाफ है, तुम तो जानती हो
मैं एक छाप,दाग कर जाता हूँ
शब्द के लिये मैं समा चुका हूँ
मेरे सभी अक्षर,शब्द समाधि में ही खत्म हो गए हैं
यह एक महान चित्रकार है
धरती या पाताल का क्या रंग है

ऐसा लगता है कुछ और ही है
एक लय जलती रहती है
ऐसा लगता है कि मौत करीब है
एकदम सुनसान जगह पर
जहाँ पर सिर्फ खामोशी छाई है
चित्रकार सिर्फ देख रहा था
सदियो से बनाई हुई अपनी मास्टरपीस,
कागज या कॅन्वास पर
बनी हर पैंटिंग,
क्या है इस चित्रकारी में
इन पैंटिंग्स में
अपनी कला में !!
कोई दर्द या दुख छुपा है इन कलाकृतियों में
कोई रिश्ते है इनसे
मास्टरपीस हो या कोई अन्य चेहरा
कभी वह स्टिल लाइफ बन जाता है
कभी एक वास्तविकता दिखाई देता है
लेकिन यह चित्रकार चला गया
एक शांत नगर में...
सो गया इस धरती में
जब कोई इस महान चित्रकार का
अद्भुत पैंटिंग या चित्रकारी देखेगा
तो कोई भी इंसान एक बार नही बारंबार
चौंक जायेगा!!
ऐसा लगता है की सब कुछ
शांत हो गया है
एक जो आंदोलन था
थम सा गया है
क्या यह चित्रकार का पागलपन था
जो मास्टरपीस बनाते - बनाते सो गया
क्या यह धरती का पागलपन है?
चित्रकार हमेशा एक नयी दिशा ढूंढता रहता था !!
मेरी यात्रा 2
क्या लिख सकता हूँ
मेरी यात्रा, चार कंधो पर सोया हूं
इस अपनी श्मसान यात्रा में
कफन ने सभी जब्त कर लिया है
रात्रि की सुगंध,
जितनी भी थी जमा पूंजी और कुछ उधारी
शब्द अब है मेरे अंतराल में,
कितने छटपटाते हैं शब्द
मेरे रक्त में शामिल
बहुत नींद आ रही है
एक नयी दुनिया में प्रवेश हो रहा है मेरा
मन होता है, एक बार
देख लूँ जी भर कर अपनी प्रियतमा को
लेकिन नींद इतनी गहरी है
कुछ देख नहीं पा रहा हूँ मैं
रक्त धीरे - धीरे एक बिंदु हो कर
समा जाता है मेरे शरीर में
कितने युग,शताब्दी बीत गए
क्या लिखी मैंने
कोई ऐसी कविता,गीत,
अक्षरों को ले कर क्या
एक संगीत या धून सजा पाया मैं
कोई बेमिसाल पंक्ति लिख पाया
यह एक एपिटाफ है, तुम तो जानती हो
मैं एक छाप,दाग कर जाता हूँ
शब्द के लिये मैं समा चुका हूँ
मेरे सभी अक्षर,शब्द समाधि में ही खत्म हो गए हैं
फ्लॉट 101 योगीसेवा 2,12 सेवाश्रम सोसाइटी
एल्लोरा पार्क,बरोडा - 390023, गुजरात
दूरभाष : 09898783519
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