गीता गुप्ता मन
ख्वाब आँखों में मेरी
ख्वाब आँखों में मेरी सजा रह गया।
पास आये मगर फासला रह गया।
आसमां था खुला चाँद तारे भी थे,
रौशनी का मगर काफिला रह गया।
ये नया दौर है कोई सुनता नहीं,
शाम तक लाइनों में खड़ा रह गया।
ना सफीना मेरा ना ही साहिल मेरा,
उठती लहरों में मेरा पता रह गया।
चाँद मासूम सा पहलू में रो पड़ा,
थाम बाहों में बस देखता रह गया।
खूबियाँ तुझमें है, ऐब मुझमें भी है
बीच अपने मगर सिलसिला रह गया।
मन परिन्दों सा उड़ता रहा उम्र भर,
जिन्दगी से मेरा सामना रह गया।
भगवान
सत्य सदा ही बोलिये, करो बड़ों का मान
नेक राह चलते रहो,ए मिल जायें भगवान।
जो मानव उर से भजे,नाम एक भगवान
सच्ची श्रद्धा उर बसी, आये स्वर्ग विमान।
आरति गाऊँ प्रेम से, सुनो कृष्ण भगवान
सूनी मन की है गली, जीवन मृतक समान।
मन्दिर मस्जिद में नहीं, मन बसते भगवान
अंधियारा अज्ञान का, मानव है अनजान।
प्रातः उठो अरु नित करो,ईश भजन गुणगान
जीवन सुखमय मानिये, हाथ रखे भगवान।
पत्राचार हेतु पता- मनीष कुमार
सी पी सी न्यू हैदराबाद पोस्ट ऑफिस भवन
लखनऊ - पिन.226007
मोबा : 09453993776
ख्वाब आँखों में मेरी

पास आये मगर फासला रह गया।
आसमां था खुला चाँद तारे भी थे,
रौशनी का मगर काफिला रह गया।
ये नया दौर है कोई सुनता नहीं,
शाम तक लाइनों में खड़ा रह गया।
ना सफीना मेरा ना ही साहिल मेरा,
उठती लहरों में मेरा पता रह गया।
चाँद मासूम सा पहलू में रो पड़ा,
थाम बाहों में बस देखता रह गया।
खूबियाँ तुझमें है, ऐब मुझमें भी है
बीच अपने मगर सिलसिला रह गया।
मन परिन्दों सा उड़ता रहा उम्र भर,
जिन्दगी से मेरा सामना रह गया।
भगवान
सत्य सदा ही बोलिये, करो बड़ों का मान
नेक राह चलते रहो,ए मिल जायें भगवान।
जो मानव उर से भजे,नाम एक भगवान
सच्ची श्रद्धा उर बसी, आये स्वर्ग विमान।
आरति गाऊँ प्रेम से, सुनो कृष्ण भगवान
सूनी मन की है गली, जीवन मृतक समान।
मन्दिर मस्जिद में नहीं, मन बसते भगवान
अंधियारा अज्ञान का, मानव है अनजान।
प्रातः उठो अरु नित करो,ईश भजन गुणगान
जीवन सुखमय मानिये, हाथ रखे भगवान।
पत्राचार हेतु पता- मनीष कुमार
सी पी सी न्यू हैदराबाद पोस्ट ऑफिस भवन
लखनऊ - पिन.226007
मोबा : 09453993776
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