श्याम ’ स्नेही’ श्याम
मत दो चिंगारियों को हवा निज स्वार्थ के लिएदशकों से चले हैं प्रयोग - गरीबी स्वार्थ के लिएमानवता के नाम किये इकट्ठे तुमने,कालाधनकुछ तो किये होते तुम बेबाक परमार्थ के लिए।मत दो चिंगारियों को हवा निज स्वार्थ के लिए
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