डॉ. विभा कुमारी सिंह
हम क्यों आयें हैं धरती पर!
क्यों परमपिता ने हमें बनाया?
खेल - खेल में बीता बचपन,
गई जवानी मौज़ मजा में।
पूजा - पाठ में लगा बुढ़ापा,
जीवन कट गया दायित्व निभाने में।
रिश्तों के बन्धन में पड़कर,
अपना पराया खूब किया।
सही गलत का भेद न जाना,
मानव फायदे का व्यापार किया।
झूठ,फरेब और धोखा से,
जीवन में सबने काम लिया।
परमपिता ने दिया था हमको,
तन कोमल - सा निश्छल सा मन।
मानव ने अपने कर्मों से,
तन - मन को दागदार किया।
कलुषित मन लेकर बन्दे,
मिलोगे कैसे परमपिता से।
हम क्यों आयें हैं धरती पर!
क्यों परमपिता ने हमें बनाया?
इस अंक के रचनाकार
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मंगलवार, 30 नवंबर 2021
बंधन
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