.मुईनुदीन कोहरी
जब भी खुदा मेरे तस्सवुर में आते हैं
जब भी खुदा मेरे तस्सवुर में आते हैं।
दिल - दिमाग मेरे बाग.- बाग हो जाते हैं।।
खुदा की इबादत में खो जाने वालों को।
फ़रिश्ते भी खुद ग़ैब से नेअमतें दे जाते हैं।।
ऐसा लगने लगता है कई बार जहन में।
उनके नूर से खुदबा खुद अंधेरे छंट जाते हैं।।
नफ़रतों को कभी नए दिल मे पालने वाले।
खुशियों से ऐसे लोग मालामाल हो जाते हैं।।
उलझने खुदबा खुद उनकी सुलझ जाती है।
जो तनाव से सदा कोसों दूर हो जाते हैं।।
हर फैसला जो खुदा की रज़ा पर छोड़ दे।
ऐसे इंसान जिंदगी मे कभी दुख नही पाते हैं।।
रिश्ते भी खुदा की नेअमतों में शुमार होते हैं।
ये खुशी -ग़म में इक दूजै का साथ निभाते हैं।।
खुदा की बन्दगी में ही सब कुछ है लोगों।
’नाचीज’तो उसी के आगे ही सर झुकाते हैं।।
मोहल्ला
कोहरियांन,बीकानेर
मोः9680868028
इस अंक के रचनाकार
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सोमवार, 29 नवंबर 2021
जब भी खुदा ..
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