डॉ. आदर्श
बाज़ार पहुँच नटराजन जी को याद आया, हवन में डालने वाला गूगल कब का समाप्त हो चुका है और वह हर बार उसे खरीदना भूल जाते रहे हैं।
वह सीधे पंसारी की दुकान पर पहुँचे।
दाम पूछे तो 300 रु का सौ ग्राम सुन उनका मुँह खुला का खुला ही रह गया । उनकी मुद्रा देख राजू पंसारी मुस्कुरा दिया।
- बाबू जी! नकली गूगल तो सस्ता बहुत मिलता है लेकिन असली और खरे की कीमत तो महँगी ही होगी।
पैसे देते नटराजन जी वहाँ न थे।
मन, उन्हें कहीं दूर भटका ले गया था।
- असली और खरा मान कर ही सब कुछ लुटा दिया था लेकिन ...।
उधमपुर
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