अंकित चहल गाजियाबाद
ख़ुदा तक जब इबादत का इशारा पहुँच जायेगा।
ये तय है फिर बुलंदी पर सितारा पहुँच जायेगा।
लड़ेगें हौसले हालात से किस्मत बदल देंगे,
तु चाहेगा तो मंज़िल तक खटारा पहुँच जायेगा।
अगर हो साफ़ नीयत और सच्चे मन से हो नेकी,
तो सचमुच बेसहारों तक सहारा पहुँच जायेगा।
जो उसने ठान रक्खा है, उसे पाकर रहेगा वो,
गिरा पहली दफ़ा लेकिन दुबारा पहुँच जायेगा।
मेरे कश्मीर से दिलबर, तेरी डल झील आँखों में,
मेरे इस इश्क का इक दिन शिकारा पहुँच जायेगा।
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