कहते हैं ख्वाब बड़े, नाजुक होते हैं
इसीलिए केवल,देखने से नहीं पूरे होते हैं।
जीवन पूरा इसको,अर्पित करना होता है
तब जाकर सभी के,सपने पूरे होते हैं।।
कुछ छोटी बड़ी सपनों की,उड़नतश्तरीया
है खुला आकाश, शायद इन की दुनिया।
यह मानव के,विचारों में घुस जाती है,
बनकर एक सपना, फिर उभर जाती है।।
यह सब कुछ,एक कल्पित सा लगता है
जीवन में कुछ अर्पित सा लगता है।
यह केवल कल्पना मात्र नहीं है हमारी,
सपनों से शायद जीवन का,
कुछ रिश्ता लगता है।।
सपना जीवन को,आधार देता है,
मानव के कर्म सारे,सुधार देता है।
बना लक्ष्य जीवन को, फिर जीता मानव,
और इसी तरह जीवन में,सपना पूरा होता है।।
अगर यह सपनों की,उड़नतश्तरीया ना होती,
जीवन में पूरी कोई,लक्ष्य ना धारणाएं होती।
इसी को बनाकर जीता मानव,जीवन का आधार
वरना मानव की जिंदगी,पशु समान होती ...।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें