(1)
ये दिलदारी पहले से है।
फ़न से यारी पहले से है।
आग लगाने वाली तन में,
ये चिंगारी पहले से है।
हम - आपस के व्यवहारों में,
दुनियादारी पहले से है।
आज रही मज़बूरी थोड़ी,
कुछ लाचारी पहले से है।
दिखती है जो सबमें हमको,
वो अय्यारी पहले से है।
वो ही है सबसे आखिर में,
जिसकी बारी पहले से है।
बोझ किसी के अहसानों का,
सिर पर भारी पहले से है।
मंजिल तक तो इन राहों की,
सब दुश्वारी पहले से है।
आज निभाई जितनी हमनें,
जिम्मेदारी पहले से है।
(2 )
उड़ चले पंछी सयाने।
पर, हवा से आज़माने।
सोचकर निकले हैं सारे,
बादलों में जा समाने।
हौसलों ने तोड़ डाले,
बेबसी के हर ठिकाने।
नोजवाँ कब मानते हैं,
कायदे बीते - पुराने।
वो ही उसको भेद लेंगे,
आँख है जिनके निशाने।
नींद से मिलते रहेंगे,
रात भर सपने सुहाने।
झूठ को झुकना पड़ा है,
लाख कर के सौ बहाने।
(3)
दिखलाऊँ हर बार तुम्हें।
सपनों का संसार तुम्हें।
दिल की दौलत वाला हूँ,
न्यौछावर सब प्यार तुम्हें।
जीत भले ही हो मेरी,
हासिल हो उपहार तुम्हें।
मुश्किल दरिया,धारों का,
आसाँ हो मझधार तुम्हें।
खुशियाँ हक में हो उतनी,
जितनी हो दरकार तुम्हें।
(4)
हर सफ़र हमसफ़र नहीं होते।
काफ़िले हर डगर नहीं होते।
आप हैं साथ - साथ,कह लें पर,
वास्ते उम्र भर नहीं होते।
आसमानों का हाल कुछ होता,
चाँद, तारे अगर नहीं होते।
पीने वालों की चाल - ढालों से,
मैकदे बेखबर नहीं होते।
मंजिलों की तलाश में अक्सर,
रास्ते मुख्¸तसर नहीं होते।
चाँद से चाह है चकोरों की,
फ़ासलें कम मगर नहीं होते।
अमझेरा धार (म.प्र.)
navinmathurpancholi@gmail.com
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