ओमप्रकाश साहू "अंकुर "
व्यंग्य रचना अउ व्यंग्य गोठ म वो शक्ति रहिथे कि मनखे ल सुधरे बर प्रेरित
करथे. कतको बेरा व्यंग्य गोठ ह झगरा के जड़ घलो बन जाथे. महाभारत काल म
दुर्योधन ल द्रोपदी के बात कि "-अंधवा के बेटा ह अंधवा जइसे हस " ह तिलमिला
के रख दीस. जेकर सेती ये व्यंग्य बात के बदला ले के ठान लीस. वोकर
दुष्परिणाम महाभारत युद्ध के रुप म सामने आइस.
दूसर कोति देखथन कि रत्नावली के व्यंग्य बात ल सुनके कि -" हांड मास के तन
ले अत्तिक प्रेम करथस! अतकी प्रेम भगवान ले कर लेहू त त़ुमन जिनगी रुपी भव
सागर ले पार हो जाही "ह तुलसी जैसे संत दीस.
वइसे तो कविता म घलो जमगरहा व्यंग्य रहिथे. कबीर, तुलसी ,रहीम, वृंद सहित बड़का कवि मन के रचना म सीख के साथ व्यंग्य छुपे हवय . कहानी, एकांकी, नाटक म व्यंग्य के गुन मौजूद रहीथे. पर इहां व्यंग्य के अर्थ हमन ल साहित्य के नवा विधा व्यंग्य लेखन के बात करना हे.ये विधा ह आधुनिक साहित्य के सबले लोक प्रिय विधा बन गेहे. ये विधा के सम्राट हरिशंकर परसाई जी माने जाथे. जब मेहा स्कूल म पढ़त रेहेंव त उंकर व्यंग्य रचना "टार्च बेचने वाला " पढ़े रेहेंव. बाद म विभिन्न अखबार अउ पत्र- पत्रिका म उंकर रचना पढ़ेव. आकाशवाणी ले घलो उंकर व्यंग्य वार्ता सुनेंव. परसाई जी ह अपन व्यंग्य रचना के माध्यम ले राजनीति म गिरते स्तर, नेता मन के झूठा वादा, भ्रष्टाचार, जमाखोरी, पाखंड, दिखावा उपर जमगरहा कलम चलाइस. ये विधा म लिख के परसाई जी ह जन जन म लोक प्रिय होइस. दुर्घटना ले गुजरे के बावजूद परसाई जी शासन /प्रशासन के समक्ष कभू नइ झुकिस अउ जनता जनार्दन ल जीवन भर जागरुक करे के कारज करते रीहीस.
हिन्दी व्यंग्य विधा म लतीफ घोंघी जी, त्रिभुवन पांडे जी, काशीपुरी कुंदन, प्रभाकर चौबे जी, रवि श्रीवास्तव जी, शरद कोठारी जी (नगर दर्पण, सबेरा संकेत राजनांदगांव) रामेश्वर वैष्णव जी,नूतन प्रसाद शर्मा जी, गजेन्द्र तिवारी जी विनोद साव जी, शत्रुघ्न सिंह राजपूत जी, कुबेर सिंह साहू जी, वीरेन्द्र साहू सरल जी, गिरीश ठक्करजी (सुई की चुभन) के नांव आदर के साथ ले जाथे.
वइसे तो कविता म घलो जमगरहा व्यंग्य रहिथे. कबीर, तुलसी ,रहीम, वृंद सहित बड़का कवि मन के रचना म सीख के साथ व्यंग्य छुपे हवय . कहानी, एकांकी, नाटक म व्यंग्य के गुन मौजूद रहीथे. पर इहां व्यंग्य के अर्थ हमन ल साहित्य के नवा विधा व्यंग्य लेखन के बात करना हे.ये विधा ह आधुनिक साहित्य के सबले लोक प्रिय विधा बन गेहे. ये विधा के सम्राट हरिशंकर परसाई जी माने जाथे. जब मेहा स्कूल म पढ़त रेहेंव त उंकर व्यंग्य रचना "टार्च बेचने वाला " पढ़े रेहेंव. बाद म विभिन्न अखबार अउ पत्र- पत्रिका म उंकर रचना पढ़ेव. आकाशवाणी ले घलो उंकर व्यंग्य वार्ता सुनेंव. परसाई जी ह अपन व्यंग्य रचना के माध्यम ले राजनीति म गिरते स्तर, नेता मन के झूठा वादा, भ्रष्टाचार, जमाखोरी, पाखंड, दिखावा उपर जमगरहा कलम चलाइस. ये विधा म लिख के परसाई जी ह जन जन म लोक प्रिय होइस. दुर्घटना ले गुजरे के बावजूद परसाई जी शासन /प्रशासन के समक्ष कभू नइ झुकिस अउ जनता जनार्दन ल जीवन भर जागरुक करे के कारज करते रीहीस.
हिन्दी व्यंग्य विधा म लतीफ घोंघी जी, त्रिभुवन पांडे जी, काशीपुरी कुंदन, प्रभाकर चौबे जी, रवि श्रीवास्तव जी, शरद कोठारी जी (नगर दर्पण, सबेरा संकेत राजनांदगांव) रामेश्वर वैष्णव जी,नूतन प्रसाद शर्मा जी, गजेन्द्र तिवारी जी विनोद साव जी, शत्रुघ्न सिंह राजपूत जी, कुबेर सिंह साहू जी, वीरेन्द्र साहू सरल जी, गिरीश ठक्करजी (सुई की चुभन) के नांव आदर के साथ ले जाथे.
मेहा ह लतीफ
घोंघी जी के व्यंग्य रचना ल जादा पढ़े अउ सुुने हवँ. विभिन्न अखबार के
रविवारीय अंक के संगे संँग साहित्यिक पत्रिका म पढ़े हवँ. आकाशवाणी रायपुर
ले प्रसारित उंकर व्यंग्य रचना ल अब्बड़ चाव ले सुनवँ . उंकर व्यंग्य रचना म
व्यंग्य के सँग हास्य के पुट झलकय जेहा मन ल गुदगुदाय अउ व्यवस्था पर
जमगपहा प्रहार करय. अइसने शरद जोशी जी के रचना ल पत्र पत्रिका म पढ़े के
सँगे सँग रेडियो अउ टीवी म सुने रेहेंव.
छत्तीसगढ़ी साहित्य म व्यंग्य लेखन के यात्रा.....
छत्तीसगढ़ी साहित्य म व्यंग्य लेखन के यात्रा.....
आवव अब छत्तीसगढ़ी साहित्य मा व्यंग्य लेखन के यात्रा के गोठ करथन.
छत्तीसगढ़ी म गद्य रचना के शुरुआत 1950 के बाद जादा देखे ल मिलीस.
"छत्तीसगढ़ी मासिक" (संपादक -मुक्तिदूत)," लोकाक्षर" (संपादक -नंदकिशोर
तिवारी जी) के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी गद्य ल बने वातावरण मिलीस. सुशील भोले
जी के संपादन म 1987 से 1989 तक "मयारु माटी " पत्रिका म रामेश्वर वैष्णव
जी, टिकेन्द्र टिकरिहा जी, चेतन आर्य जी, राजेश्वर खरे जी के सँगे सँग दूसरा
व्यंग्यकार मन के लेख प्रकाशित होय हे.
छत्तीसगढ़ी म व्यंग्य लेखन के एक बड़का नाँव रामेश्वर वैष्णव जी के हे.
वैष्णव जी ह 1966 ले व्यंग्य लिखे के शुरु करीस. उंकर व्यंग्य लेख कई ठक
अखबार अउ पत्रिका म प्रकाशित होइस जेमा बांगो टाईम्स (बागबाहरा) म 1966से
1968 तक ( स्तंभ-आंखी मूंद के देख ले),छत्तीसगढ़ झलक म 1978 से 1981 तक,
नवभारत म 1983 से 1990 तक अउ फेर बाद म 2010 से 2013 तक (स्तंभ -उत्ता
-धुर्रा), 1995 से1997 तक दैनिक भास्कर म (स्तंभ -उबुक -चुबुक), 2009 से
2011 तक छत्तीसगढ़ी सेवक म 1980 से 1986 तक (स्तंभ - गुरतुर -चुरपुर)फेर
2010 से 2013 तक (स्तंभ - सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया) साप्ताहिक रुप म
प्रकाशित होइस. वैष्णव जी ह लगभग पांच सौ व्यंग्य लिखे हे. पर उंकर
छत्तीसगढ़ी व्यंग्य ह किताब के रुप म सामने नइ आ पाइस. जबकि हिन्दी म उंकर
पांच व्यंग्य संग्रह निकले हे.उंकर व्यंग्य के कुछ शीर्षक म " का साग
खायेस, सब्जी मन के गोठ बात, करिया कुकुर के उज्जर बात, "अच्छा आदमी के
हालत खराब " शामिल हे.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राज नेता केयूर भूषण जी एक बड़का साहित्यकार
रीहीन. आन विधा के सँगे सँग व्यंग्य म घलो कलम चला हे. उंकर वयंग्य " देवता
मन के भूतहा चाल " ल पाठक मन अब्बड पसंद करीस. वैभव प्रकाशन (संपादक -
सुधीर शर्मा) के सँगे सँग दूसर पत्र पत्रिका मन म भूषण जी के व्यंग्य लेख
प्रकाशित होय. 1995 म जय प्रकाश मानस के छत्तीसगढ़ी व्यंग्य संग्रह "कलादास
के कलाकारी "पहचान प्रकाशन (प्रकाशक - राजेन्द्र सोनी) रायपुर ले प्रकाशित
होइस.हमर छत्तीसगढ़ के बड़का साहित्यकार जेमा हरि ठाकुर जी, चितरंजन कर
जी, डॉ. बल्देव, डॉ. बिहारी लाल साहू, राजेन्द्र सोनी, राम लाल रात्री मन ह
अपन लेख म ये व्यंग्य संग्रह ल छत्तीसगढ़ी के पहिली व्यंग्य संग्रह
(व्यक्तिगत) माने हे. येकर ले पहिली मानस जी ह 1990-91 म अमृत संदेश(संपादक
- गोविन्द लाल वोरा) म "पंचनामा' स्तंभ म व्यंग्य लेख लिखे.
छत्तीसगढ़ी म व्यंग्य लेखन ल बढ़ावा दे म लोकाक्षर (संपादक - नंद किशोर
तिवारी) देशबंधु के मड़ई(संपादक- आदरणीया सुधा वर्मा जी) वैभव प्रकाशन
(संपादक - सुधीर शर्मा जी) हरिभूमि के चौपाल(संपादक-दीन दयाल साहू जी)
पत्रिका के पहट (संपादक- गुलाल वर्मा जी), छत्तीसगढ़ सेवक (संपादक- जागेश्वर
प्रसाद जी) मयारु माटी (संपादक -सुशील भोले) गुरतुर गोठ (संजीव तिवारी जी)
"हांका", दैनिक सबेरा संकेत (संपादक- शरद कोठारी जी, सुशील कोठारी जी)
छत्तीसगढ़ झलक (संपादक-चन्द्रकांत ठाकुर) नवभारत, अमृत संदेश के अपन डेरा,
दैनिक भास्कर, समवेत शिखर, आरुग चौंरा( संपादक -ईश्वर साहू आरुग छत्तीसगढ़
आस पास (प्रदीप भट्टाचार्य जी) नांदगांव टाईम्स (संपादक -अशोक पांडे जी)
दैनिक दावा ( संपादक -बुद्धदेव जी) बांगो टाईम्स, कृषक युग(विद्या भूषण
ठाकुर जी) कला परंपरा (संपादक- गोविन्द साव जी) विचार विन्यास (संपादक -डॉ.
दादू लाल जोशी जी) विचार वीथी (संपादक - सुरेश सर्वेद जी) साकेत स्मारिका (
संपादक -कुबेर सिंह साहू जी) राजिम टाईम्स (संपादक - तुका राम कंसारी जी )
छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप (ग्रुप एडमिन द्वय - अरुण कुमार निगम जी अउ
सुधीर शर्मा जी) अंजोर (संपादक-जयंत साहू जी) अउ विभिन्न पत्र पत्रिका ह
गद्य के विभिन्न विधा के संग व्यंग्य लेखन ल बढ़ावा दीस / देवत हे.
छत्तीसगढ़ी म व्यंग्य लेखन पहिली छुट- पूट चलते रीहीस.लिखइया कम रीहीस फेर
छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद छत्तीसगढ़ी म व्यंग्य लेखन के बढ़वार देखे ल
मिलीस. नवा राज बने ले छत्तीसगढ़िया साहित्यकार मन के स्वाभिमान म जिहां
बढ़ोत्तरी होइस त दूसर कोती छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा बनाय के मांग ह जोर पकड़े
लागीस. हमर छत्तीसगढ़ के साहित्यकार मन कविता के सँगे सँग गद्य म घलो अपन
कलम ल चलात गिस. साहित्य के नवा विधा व्यंग्य म घलो लिखइया साहित्यकार मन म
बढ़ोत्तरी होइस.
छत्तीसगढ़ी व्यंग्य लेखन क्षेत्र म रामेश्वर वैष्णव जी, सुशील यदु जी,
शत्रुघ्न सिंह राजपूत जी (कबीर चँवरा(स्तंभ) दैनिक सबेरा संकेत में 1993 से
लगातार 15 साल साप्ताहिक प्रकाशित होइस, रायपुर के कई ठक अखबार म घलो छपिस
) ,लक्ष्मण मस्तुरिया (गुनान गोठ, वैभव प्रकाशन द्वारा 2015 म प्रकाशित,
जेमा 34 व्यंग्य लेख हे, गाय न गरु सुख होय हरु, ये व्यंग्य ह एम. ए.
हिन्दी साहित्य म शामिल रीहीस ), सुशील भोले जी (मयारु माटी म " बजरंग तोला
युग पुरुष बनाबो ", छत्तीसगढ़ी सेवक म किस्सा कलयुगी हनुमान के प्रकाशित
होइस. व्यंग्य संग्रह -भोले के गोले 2015 म प्रकाशित) , छंद विद् अरुण
कुमार निगम जी (रेखा रे रेखा, मंगनी मा मांगे मया नइ मिले) परमानंद वर्मा
जी, दुर्गा प्रसाद पारकर जी ( 1992 से 1994 तक रौद्र मुखी स्वर म
छत्तीसगढ़ी व्यंग्य स्तंभ "आनी -बानी के गोठ"प्रकाशित , व्यंग्य लेखन
संग्रह -" बईगा घर लईका नइ हे" जल्दी प्रकाशनाधीन हे. जेमा उंकर 14
छत्तीसगढ़ी व्यंग्य लेख हे) वीरेन्द्र साहू सरल जी , के. के. चौबे जी,
पुरुषोत्तम अनासक्त, धर्मेन्द्र निर्मल जी (हांका म प्रकाशित होथे) दीन
दयाल साहू जी (बीवी अउ टीवी, कुर्सी नइ पूरत हे, होरी तिहार के मजा, चौपाल म
दो दर्जन ले जादा व्यंग्य प्रकाशित होइस) , टिकेन्द्र नाथ टिकरिहा जी,
हेमनाथ वर्मा जी, चेतन आर्य जी, तीरथ राम गढ़ेवाल, राजेश्वर खरे, गजेन्द्र
तिवारी, चोवा राम वर्मा बादल जी, डी. के. सार्वा, रामेश्वर गुप्ता, रमेश
चौहान, बिट्ठल साहू जी, राजेन्द्र सोनी जी, के. के. चौबे जी, हरि शंकर
गजानंद देवांगन जी, गया प्रसाद रतनपुरिहा, राज कुमार चौधरी जी ( व्यंग्य
संग्रह- का के का बधाई 2019 म प्रकाशित ), गिरीश ठक्कर जी (लबरा के
गोठ,छत्तीसगढ़ झलक, राजनांदगांव म 10 साल तक साप्ताहिक रुप म प्रकाशित,
कृषक युग अउ चौपाल म भी व्यंग्य प्रकाशित होइस) , मथुरा प्रसाद वर्मा,
अश्वनी कोसरे, हीरा लाल गुरुजी, विजेन्द्र वर्मा जी,चन्द्रहास साहू जी, लखन
लाल साहू लहर (गौंटिया राज अउ पंचायती राज, नांदगांव टाईम्स म प्रकाशित,
का इही आय मोर सपना के छत्तीसगढ़, 23 दिसंबर 2003 म सबेरा संकेत म प्रकाशित
, छत्तीसगढ़ राज ह कुर्सी म चपकागे ,21 दिसंबर 2000 म दैनिक भास्कर के
कालम अपनी बात म प्रकाशित) जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया जी, डॉ. अशोक साहू
आकाश (छत्तीसगढ़ी केशरी म "अंते तंते "शीर्षक ले प्रकाशित),महेन्द्र कुमार
बघेल मधु जी (चाहा- पानी 2007 म साकेत स्मारिका म प्रकाशित), फकीर प्रसाद
साहू" फक्कड़ " (तड़क फांस, सरकार, बाबा) राजनांदगांव के नांव सामिल हे.
2019 म गुरतुर गोठ के संपादक संजीव तिवारी जी ह छत्तीसगढ़ी व्यंग्य लेखन
उपर आलोचानात्मक किताब निकालिस. येमा "छत्तीसगढ़ी व्यंग्य लेखन : दशा अउ
दिशा "के बहाने दो दर्जन छत्तीसगढ़ी व्यंग्यकार के रचना के बारे म समीक्षा
करे गेहे. येमा तिवारी जी ह छत्तीसगढ़ी व्यंग्यकार के लेखन के बारे म
सुग्घर चर्चा करे हे.
व्यंग्य रचना म साहित्यकार ह कोनो प्रतीक लेके बात रखथे. पशु- पक्षी के सभा, जानवर मन के बइठका जइसे विषय ल लेके व्यवस्था उपर अब्बड़ प्रहार करथे.
छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी व्यंग्य ह पोठ होवत हे. येमा जुड़े दर्जन भर के करीब बुधियार साहित्यकार मन ये विधा म अपन कलम चलावत हे.
व्यंग्य रचना म साहित्यकार ह कोनो प्रतीक लेके बात रखथे. पशु- पक्षी के सभा, जानवर मन के बइठका जइसे विषय ल लेके व्यवस्था उपर अब्बड़ प्रहार करथे.
छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी व्यंग्य ह पोठ होवत हे. येमा जुड़े दर्जन भर के करीब बुधियार साहित्यकार मन ये विधा म अपन कलम चलावत हे.
आज छत्तीसगढ़ी साहित्य म व्यंग्य विधा ह अब्बड़ लोक प्रिय विधा बन गेहे.
संदर्भ -
संदर्भ -
1. हमर छत्तीसगढ़ के एक दर्जन साहित्यकार मन ले चर्चा जेमा व्यंग्यकार घलो शामिल हे.
2. छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप
3. विभिन्न पत्र -पत्रिका
2. छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप
3. विभिन्न पत्र -पत्रिका
ओमप्रकाश साहू "अंकुर "
सुरगी,राजनांदगांव
सुरगी,राजनांदगांव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें