दर्द गढ़वाली
कहां आसान था रस्ता हमारा।
कभी वो देखते छाला हमारा।।
खुदाया खत्म हो किस्सा वबा का।
सजे महफिल चले चर्चा हमारा।।
तुम्हें होता न दुख कोई कभी भी।
अगर होता जो सच सोचा हमारा।।
हजारों आंख रोएंगी हमें भी।
छिड़ेगा जब कभी किस्सा हमारा।।
दुआ मांगों न हो फिर लाकडाउन।
सदा जलता रहे चूल्हा हमारा।।
नहीं सुनता समझता बात कोई।
बड़ा बेदर्द है नेता हमारा।।
7, देहरादून .,9455485094
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