गीत भी तुम हो,राग भी तुम हो
प्रीत भी तुम हो,अनुराग भी तुम हो,
तुम कल कल बहती सरिता
झरनों का आलाप भी तुम हो।
श्वास - श्वास संग अश्रु तुम हो,
नेत्रहीन मैं चक्षु तुम हो
तुम रोम - रोम की मादकता,
तुम रक्त बूँद की चंचलता,
तुम मन्द समीर यहाँ - वहाँ,
मैं ढूंढूं तुमको कहाँ - कहाँ।
तुम विह्वल होती मृच्छीका,
मैं अनंत लहरों का आगर हूँ,
तुम इठलाती इक दरिया हो
मैं मंजिल प्रेम का सागर हूँ।
तुम भँवरे का गुंजन हो,
तुम प्राणप्रिय तुम प्रियतम हो।
रात भी तुम हो,दिन भी तुम हो
जीवन का हर प्रहर भी तुम हो
तुम ही अग्नि,तुम ही वायु,
तुम धरा सुहानी,वारि तुम हो
काम भी तुम हो,अविराम भी तुम हो
जीवन का चल प्रहर भी तुम हो,
प्रहरों का विश्राम भी तुम हो।
ज्ञान भी तुम हो,विज्ञान भी तुम हो
हर सिद्धि का संधान भी तुम हो
हार भी तुम हो,जीत भी तुम हो
बिन बाजी का संग्राम भी तुम हो।
गान भी तुम हो,संगीत भी तुम हो
सम्मान भी तुम हो,पुनीत भी तुम हो
अविरल प्रेम रसधार भी तुम हो
शत्रु पर प्रहार भी तुम हो
वैशाखी तपन में छाँव भी तुम हो
पौष के शीत में अलाव भी तुम हो।
तुम दया क्षमा में,तुम समां - समां में
युगों - युगों का अलगाव भी तुम हो
तुम ही नश्वर,तुम ही सनातन,
हर बाजी का हर दांव भी तुम हो।
प्रीत भी तुम हो,अनुराग भी तुम हो,
तुम कल कल बहती सरिता
झरनों का आलाप भी तुम हो।
श्वास - श्वास संग अश्रु तुम हो,
नेत्रहीन मैं चक्षु तुम हो
तुम रोम - रोम की मादकता,
तुम रक्त बूँद की चंचलता,
तुम मन्द समीर यहाँ - वहाँ,
मैं ढूंढूं तुमको कहाँ - कहाँ।
तुम विह्वल होती मृच्छीका,
मैं अनंत लहरों का आगर हूँ,
तुम इठलाती इक दरिया हो
मैं मंजिल प्रेम का सागर हूँ।
तुम भँवरे का गुंजन हो,
तुम प्राणप्रिय तुम प्रियतम हो।
रात भी तुम हो,दिन भी तुम हो
जीवन का हर प्रहर भी तुम हो
तुम ही अग्नि,तुम ही वायु,
तुम धरा सुहानी,वारि तुम हो
काम भी तुम हो,अविराम भी तुम हो
जीवन का चल प्रहर भी तुम हो,
प्रहरों का विश्राम भी तुम हो।
ज्ञान भी तुम हो,विज्ञान भी तुम हो
हर सिद्धि का संधान भी तुम हो
हार भी तुम हो,जीत भी तुम हो
बिन बाजी का संग्राम भी तुम हो।
गान भी तुम हो,संगीत भी तुम हो
सम्मान भी तुम हो,पुनीत भी तुम हो
अविरल प्रेम रसधार भी तुम हो
शत्रु पर प्रहार भी तुम हो
वैशाखी तपन में छाँव भी तुम हो
पौष के शीत में अलाव भी तुम हो।
तुम दया क्षमा में,तुम समां - समां में
युगों - युगों का अलगाव भी तुम हो
तुम ही नश्वर,तुम ही सनातन,
हर बाजी का हर दांव भी तुम हो।
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