ऋषि कुमार'
सुबह पन्छियों की चहचहाट में तुम
मुझे जगा दिया करो
जब पहली किरण उतरे धरती पर
तो चेहरा दिखा दिया करो
सहमी हवा के झोंके में तुम मुझसे
गले लग जाया करो
जब कोई ना हो जगा तब
एक बार दिख जाया करो
आँचल समेंटे लहरों की तरह
फिर आ जाया करो
जब आहट हो जाये कही
तो चाँद की तरह छीप जाया करो
भींगी जुल्फों से ओंस की कुछ बूंदे
उड़ा दिया करो
कोई देख ना ले तुम्हें इसलिए
बचते बचाते आ जाया करो
पर्वत पर छाये बादालों की
तरह सपनों में आ जाया करो
जब सूरज तेज कदमों से आये
तो लौट जाया करो।
सुबह पन्छियों की चहचहाट में तुम
मुझे जगा दिया करो
जब पहली किरण उतरे धरती पर
तो चेहरा दिखा दिया करो
सहमी हवा के झोंके में तुम मुझसे
गले लग जाया करो
जब कोई ना हो जगा तब
एक बार दिख जाया करो
आँचल समेंटे लहरों की तरह
फिर आ जाया करो
जब आहट हो जाये कही
तो चाँद की तरह छीप जाया करो
भींगी जुल्फों से ओंस की कुछ बूंदे
उड़ा दिया करो
कोई देख ना ले तुम्हें इसलिए
बचते बचाते आ जाया करो
पर्वत पर छाये बादालों की
तरह सपनों में आ जाया करो
जब सूरज तेज कदमों से आये
तो लौट जाया करो।
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