डॉ. पवन कुमार पाण्डे
गंगा जल लेकर चल मन तू, विश्वनाथ काशी के धाम।
चक्र थमेगा जन्म - मरण का, करे जो भक्ति तू निष्काम।।
चिंताएं व्यथा मिटेगी मन से, तन से पीड़ा होगी दूर,
मनमौजी - सा जीवन होगा, मोद रहेगी नित भरपूर,
कुछ क्षण दें दें भोले को बस, जग को दें दें आठों याम।
चक्र थमेगा जन्म - मरण का, करे जो भक्ति तू निष्काम।।
नभ - सा नीरव मौन सधेगा, अंतस गूॅंजे अनहत नाद,
चिर निद्रा - सा ध्यान लगेगा, मिट जाएंगे सारे वाद,
सम ही लगेंगे सुख - दुख और रैन - दिवस अरु ढलती शाम।
चक्र थमेगा जन्म - मरण का, करे जो भक्ति तू निष्काम।।
माया फिर न प्रभावी होगी, मृग - तृष्णा का होगा अंत,
निर्विकार से तन - मन होंगे, बरसेगा आनंद अनंत,
दर्प भाव की कारा टूटे, प्रशमित होवे रति पति काम।
चक्र थमेगा जन्म - मरण का, करे जो भक्ति तू निष्काम।।
असिस्टेंट प्रोफेसर
निजामाबाद, तेलंगाना,98487815408
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