जनार्दन द्विवेदी
हमारी जिंदगी में आशा की उजियारी रहती है।
जब झलकती उजियारी तो अँधियारी हटती है।
हमारी जिंदगी में आशा की ....!!
उपर वाले के बिधान पे सबको चलना रहता है।
तन मन के जोर पे हर निभान करना पड़ता है।
जैसी तुम्हारी वैसी ही दशा हमारी भी रहती है।
हमारी जिंदगी में आशा की ...!!
अपने सफर में सुख - दुख का मिलता उपहार है।
जैसा नियति में रहता वैसा हमको स्वीकार है।
साँसों के चलान पे सारी जिंदगी हारी रहती है।
हमारी जिंदगी में आशा की ...!!
संग हमारे हर पल निभते चलते हमारे अपने हैं।
उनके साथ में रहकर हम पूरे करते हर सपनें हैं।
जब खुशियाँ भरी हों तब कहाँ लाचारी रहती है।
हमारी जिंदगी में आशा की ...!!
जो बड़े सयाने हैं वे भी अपनें संस्कार दे जाते हैं।
तन मन में भरे हमारे दोष विकार वही घटाते हैं।
अपनी नश्वर काया उनकी ही जयकारी करती है।
हमारी जिंदगी में आशा की ...!!
इस अंक के रचनाकार
.
सोमवार, 21 फ़रवरी 2022
आशा की उजियारी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें