मधु’ मधुलिका’
आज अपने इश्क का इजहार कर दूँ
कल कहनी थी बात वो आज कह दूँ
तुम फूल गुलिस्तां में सुर्ख गुलाब के
तुझे मैं खिताब जश्न ए बहार कर दूँ
तुम्हारी अदायें दुनियां में कमाल की
तुझे खूबसूरत सुंदर एहसास कर दूँ
खुशनुमां मौसम ये दिल की बेदिली
क्यूं न तुझपर प्यार की बौछार कर दूँ
मेरे धड़कनों में रहते हो जाने वफा
इस बज़्म में प्यार का त्योहार कर दूँ
तुमसे ही करती हूँ प्यार इस जहान में
कहो गर इश्क का दरिया पार कर दूँ
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