सुनिता मिश्रा
भय्यू जोर जोर से रो रहा था। दूध का गिलास भरा हुआ चाहिये था उसे।
पाँच साल की गुड़िया ने स्कूल जाने के लिये अपना बैग उठाया ही था कि माँ ने टोक दिया - बेटा दूध तो पीती जा।
अब गुड़िया का दो साल का छोटा भाई भय्यू भी है। गाय ने दूध देना कम कर दिया था। कुछ समय तो दोनों को एक एक गिलास भरकर दूध माँ दे देती थी।
गुड़िया ने गिलास की तरफ देखा,फिर रोते हुए छोटे भाई को देखा।
दूध की मात्रा आधा,आधा गिलास कर दी गई थी। उसने अपने गिलास का दूध भय्यू के गिलास में डाल दिया।
- अब मुझे दूध अच्छा नहीं लगता माँ,इसे भय्यू को दे दो। अपना बैग उठा स्कूल की ओर चल दी।
दूध की मात्रा आधा,आधा गिलास कर दी गई थी। उसने अपने गिलास का दूध भय्यू के गिलास में डाल दिया।
- अब मुझे दूध अच्छा नहीं लगता माँ,इसे भय्यू को दे दो। अपना बैग उठा स्कूल की ओर चल दी।
- देखा अम्माँ,कितनी ममता है इसमें। कैसे अपने हिस्से का दूध भय्यू को दे दिया आपकी बिल्ली ने।
- बहू,जब छोरियाँ अपनी माँ के पेट में रहतीं हैं न,कुदरत तभी उनके मन में ममता के बीज बो देती है। गुड़िया की दादी ने जवाब दिया।
- बहू,जब छोरियाँ अपनी माँ के पेट में रहतीं हैं न,कुदरत तभी उनके मन में ममता के बीज बो देती है। गुड़िया की दादी ने जवाब दिया।
भोपाल
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