अशोक प्रियबंधु
आग नफ़रत की नहीं फैले कहीं अब,
ज़ुल्म देखो जिस जगह,जड़ से मिटाओ।
ज़ुल्म देखो जिस जगह,जड़ से मिटाओ।
जाग जाओ! हिन्द के योद्धा युवाओं,
देश को,गुंडे - लुटेरों से बचाओ।
अब युवाओं का हुआ क्या खून पानी,
हम भुले क्या वीरता की वो कहानी।
जान देकर देश को जिंदा रखे जो,
उन लड़ाकू रणवीर योद्धा की रवानी।
अब उठो! तज कर निराशा,जाग जाओ,
ज़ुल्म देखो जिस जगह,जड़ से मिटाओ।
देश को,गुंडे - लुटेरों से बचाओ।
अब युवाओं का हुआ क्या खून पानी,
हम भुले क्या वीरता की वो कहानी।
जान देकर देश को जिंदा रखे जो,
उन लड़ाकू रणवीर योद्धा की रवानी।
अब उठो! तज कर निराशा,जाग जाओ,
ज़ुल्म देखो जिस जगह,जड़ से मिटाओ।
लूटकर सारा उजाला रख लिए जो,
देश का सारा खजाना खा गए जो।
देश का सारा खजाना खा गए जो।
तुम वसूलो देश का धन वीरता से,
अब नहीं कोई रहे, दुख - दीनता से।
सब सुखद सपना पुरा करके दिखाओ,
ज़ुल्म देखो जिस जगह,जड़ से मिटाओ।
सब सुखद सपना पुरा करके दिखाओ,
ज़ुल्म देखो जिस जगह,जड़ से मिटाओ।
रोग - दुख - तम, छा रहे अब हर दिशा में,
आदमी सहमा हुआ बस जी रहा है।
बढ़ रही हर रोज मंहगाई यहां पर,
बढ़ रही हर रोज मंहगाई यहां पर,
दीन तो आंसू भरा जल पी रहा है।
हो सके तो पीर हर मन की बुझाओ,
ज़ुल्म देखो जिस जगह,जड़ से मिटाओ।
ज़ुल्म देखो जिस जगह,जड़ से मिटाओ।
चलते - चलते ...
चलते - चलते हम सफल,होकर रहेंगे, एक दिन।
मंजिल कितनी दूर हो, पाकर रहेंगे,एक दिन।
पैरों में छाले पड़ेंगे,यह मुझे मालूम है।
फिर भी अंबर पर तिरंगा,फहरायेंगे एक दिन।
चलते -चलते ...
बाधाएँ कितनी सताएं, पर रुकेंगे हम नहीं।
आंखें होंगी नम हमारी, तो कुछ गम नहीं।
है माँ का आशीष मुझ पर, हार हम सकते नहीं।
हिमगिरि के उच्चे शिखर पर हम चढ़ेंगे एक दिन।
चलते - चलते ...
बिन कोशिश के कार्य कोई सिद्ध हो सकता नहीं।
मन में हो संकल्प तो,शुभ काज भी रुकता नहीं।
चाहत में है दम भरा, जो कार्य करता सिद्ध सब।
इस निश्चय से जिन्दगी में, गुल खिलेंगे एक दिन।
चलते - चलते ...
कलाकुंज,ग्राम एवं पोस्ट - कदमा,जिला - हजारीबाग-825301
(झारखंड) ईमेल. kumarashoksingh 14@gmail com.
चलते - चलते हम सफल,होकर रहेंगे, एक दिन।
मंजिल कितनी दूर हो, पाकर रहेंगे,एक दिन।
पैरों में छाले पड़ेंगे,यह मुझे मालूम है।
फिर भी अंबर पर तिरंगा,फहरायेंगे एक दिन।
चलते -चलते ...
बाधाएँ कितनी सताएं, पर रुकेंगे हम नहीं।
आंखें होंगी नम हमारी, तो कुछ गम नहीं।
है माँ का आशीष मुझ पर, हार हम सकते नहीं।
हिमगिरि के उच्चे शिखर पर हम चढ़ेंगे एक दिन।
चलते - चलते ...
बिन कोशिश के कार्य कोई सिद्ध हो सकता नहीं।
मन में हो संकल्प तो,शुभ काज भी रुकता नहीं।
चाहत में है दम भरा, जो कार्य करता सिद्ध सब।
इस निश्चय से जिन्दगी में, गुल खिलेंगे एक दिन।
चलते - चलते ...
कलाकुंज,ग्राम एवं पोस्ट - कदमा,जिला - हजारीबाग-825301
(झारखंड) ईमेल. kumarashoksingh 14@gmail com.
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