रविकान्त सनाढ्य
गुब्बारे ले लो, गुब्बारे, रंग बिरंगे गुब्बारे! खिलौने ले लो! बाँसुरी,डमरू और कैमरा ले लो,घड़ी ले लो , पानी के बुलबुले उड़ा लो !
- कितने का दिया एक गुब्बारा ?
- पाँच रुपये का एक मम्मी जी!
- अच्छा, एक गुब्बारा दे दो!
मम्मीजी,थोड़ा पानी पिला दो न!
मम्मीजी ने उसे पानी पिला दिया और खाने को भी कुछ दे दिया ।
फिर वह आगे बढ़ गया! गरमी की तेज़ धूप की उसे परवाह नहीं, उसका फूल - सा बदन कुम्हला सा रहा था। उम्र थी कोई सात साल।
कोई उससे कुछ लेता,कोई न लेता। दिनभर आवाज लगाते उसका मुँह दुखने लगता और नींद भी आने लगती।
आज मैंने देखा, उनींदी आँखें लिए वह सड़क पर ही बैठकर निढाल पड़ गया। खिलौने बेचते - बेचते खिलौने को ही नींद आ गई! गुब्बारे की लड़ी उसके हाथ से छिटक कर दूर उड़ी चली जा रही थी ! उसके भाग्य की ही तरह!
भीलवाड़ा (राज)
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