रमेश मनोहरा
आम आदमी ना रहा, कभी यहाँ खुशहाल
मिले उसको आँगन में, संकट हरेक साल
जितना भी यदि बच सके, बचकर रहिये आप
डस न ले एक दिन कहीं, जातियता का साँप
जात पांत के भेद को, रहे मिटाकर साथ
वरना एक दिन स्वयं ही, होंगे आप अनाथ
डस लेते हैं आपको, देखो वे चुपचाप
रखते हो आस्तीन में, छिपाकर आप साँप
जब भी करते हैं यहाँ, वे विकास की बात
पड़ती आम जनता पर, देख यहाँ आघात
बैठ गए प्रशासन में, जब सारे ही चोर
कोई भी सुनता नहीं, मचा खूब ही शोर
हो जाती सारी यहाँ, इज्जत की जब धूल
स्वार्थ खातिर बेच दे, अपने सभी उसूल
गीता रामायण लगे, उसको अब बकवास
जब पैसा ही बन गया, इस पीढ़ी का खास
पैसों में ही डूब गया, सारा ही संसार
इसलिए अब रहा नहीं, रिश्तो में वो प्यार
जब से पैसों की करें, पूजा ये इंसान
तब से रिश्ते हो गये, देखो लहूलुहान
शीतला माता गली जावरा (म.प्र.)457226,
आम आदमी ना रहा, कभी यहाँ खुशहाल
मिले उसको आँगन में, संकट हरेक साल
जितना भी यदि बच सके, बचकर रहिये आप
डस न ले एक दिन कहीं, जातियता का साँप
जात पांत के भेद को, रहे मिटाकर साथ
वरना एक दिन स्वयं ही, होंगे आप अनाथ
डस लेते हैं आपको, देखो वे चुपचाप
रखते हो आस्तीन में, छिपाकर आप साँप
जब भी करते हैं यहाँ, वे विकास की बात
पड़ती आम जनता पर, देख यहाँ आघात
बैठ गए प्रशासन में, जब सारे ही चोर
कोई भी सुनता नहीं, मचा खूब ही शोर
हो जाती सारी यहाँ, इज्जत की जब धूल
स्वार्थ खातिर बेच दे, अपने सभी उसूल
गीता रामायण लगे, उसको अब बकवास
जब पैसा ही बन गया, इस पीढ़ी का खास
पैसों में ही डूब गया, सारा ही संसार
इसलिए अब रहा नहीं, रिश्तो में वो प्यार
जब से पैसों की करें, पूजा ये इंसान
तब से रिश्ते हो गये, देखो लहूलुहान
शीतला माता गली जावरा (म.प्र.)457226,
जिला रतलाम
मो. 9479662215
मो. 9479662215
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