डॉ. राम प्रवेश रजक
बहुत बड़ा
कलाकार
होता है कवि
मौन
रहकर आकार
देता है
भावनाओं को
कवि केवल
भावनाओं को ही
नहीं पहनाता
अमली - जामा
न ही चुनता है
कठिन शब्द और अलंकार
बल्कि चुनता है
जीने के लिये
दुरूह और खाईदार रास्ते
जंगली और आदमखोर
जानवरों से घिरे
कई बार
कवि की
कविता नहीं
कवि का
नाम
छापा जाता है।
बड़ा कवि वो भी
जो गोते मारता है
जनमानस की
पीड़ा में
बड़ा कवि वो भी
जो छूता है
नेताओं के पैर
दहेज पर लिखने वाला
कवि
तब कहाँ, जिंदा रहता है
जब वह निकलता है
अपने अविवाहित बेटी
के लिए वर ढूंढने
मानवता
पर लिखने वाला
कवि
तब कहाँ जिंदा रहता है
जब अपने प्रोमोशन के लिए
काटता है
नेताओं के दफ्तर के
दस चक्कर।
कवि तब
जीवित हो जाता है
जब
वह पढ़ा जाता है।
कवि
बन कर जीना
कोई कवियों की बात नहीं
क्रोध
आक्रोश
बेबस
लाचार जीवन
सीमा पर तैनात
जवान की तरह जीवन।
सहायक प्राध्यापक
हिन्दी विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय,कोलकाता - 73
मोबाईल : 9800936139
बहुत बड़ा
कलाकार
होता है कवि
मौन
रहकर आकार
देता है
भावनाओं को
कवि केवल
भावनाओं को ही
नहीं पहनाता
अमली - जामा
न ही चुनता है
कठिन शब्द और अलंकार
बल्कि चुनता है
जीने के लिये
दुरूह और खाईदार रास्ते
जंगली और आदमखोर
जानवरों से घिरे
कई बार
कवि की
कविता नहीं
कवि का
नाम
छापा जाता है।
बड़ा कवि वो भी
जो गोते मारता है
जनमानस की
पीड़ा में
बड़ा कवि वो भी
जो छूता है
नेताओं के पैर
दहेज पर लिखने वाला
कवि
तब कहाँ, जिंदा रहता है
जब वह निकलता है
अपने अविवाहित बेटी
के लिए वर ढूंढने
मानवता
पर लिखने वाला
कवि
तब कहाँ जिंदा रहता है
जब अपने प्रोमोशन के लिए
काटता है
नेताओं के दफ्तर के
दस चक्कर।
कवि तब
जीवित हो जाता है
जब
वह पढ़ा जाता है।
कवि
बन कर जीना
कोई कवियों की बात नहीं
क्रोध
आक्रोश
बेबस
लाचार जीवन
सीमा पर तैनात
जवान की तरह जीवन।
सहायक प्राध्यापक
हिन्दी विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय,कोलकाता - 73
मोबाईल : 9800936139
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