प्रगति रावत
जाने क्यों नहीं कर पाए
हां हम आपकी पहचान
दिल है पागल जो
बहुत कुछ मान बैठा आपको
पर सच कभी छुपता नहीं,
जानते आप भी हो सब
कि सबको पता है,
हां पहचान आपकी
पर जाने किस भ्रम में जीते हो आप,
सच को जाने क्यों स्वीकारते नहीं आप
शायद झूठ से इतना प्यार जो करते हो आप
झूठ आपका आपको मुबारक
सच के साथी हैं हम, सदा दूर रहो आप,
पहचान तो गए थे पहले ही हम
हां सूरत आपकी
वहम था दिल को सीरत अच्छी होगी आपकी
पर अब सब जान गए सच हम आपका,
पहचान अब कोई काम नहीं आएगी
नाम कोई साथ नहीं देगा
दूर ही रहना सदा आप हमसे
मूडी हैं हम कभी भी कुछ भी कह सकते हैं हम।
अलीगढ़
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