असीम आमगांवी,
अगर ख़ामोश हूँ तो फिर मेरा किरदार बोलेगा ।
यक़ीनन आज का सच, कल यही अख़बार बोलेगा ।
जिन्हें है शौक़ तलवे चाटने का चाट ले बेशक,
मगर दुनिया की नज़रों में हुनर हर बार बोलेगा ।
जिसे तालीम हासिल झूठ को सच मानने की हो,
वही तो ख़ून को पानी गुलों को खार बोलेगा ।
न आंखों पर यक़ी जिसका न सच्चाई से वाक़िफ़ हो,
फ़रेब-ए-अक्ल का बीमार बस जय कार बोलेगा ।
जहाँ सच बोलने पर क़त्ल का फ़रमान हो जारी,
ज़बाँ से आईना कब तक वहाँ इंकार बोलेगा ।
सितम इतने न ढाओ लोग सड़कों पर उतर आएँ,
अगर ऐसा हुआ तो बेज़बाँ यलगार बोलेगा ।
मेरा ख़ामोश लहज़ा है मेरी तहज़ीब का हामी,
'असीम' अशआर में मेरे मेरा मेयार बोलेगा ।
आमगाँव
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