अंजू सेठ
एक रोज सखी ने मुझसे पूछा प्यार क्या है मैं मुस्कुराते हुए बोली बारिस फिर हम दोनों देर तक हंसते ही रहे हंसते हुए नीले आसमान की तरफ देखा तो काले बादलों के टुकड़े जल से भरे हुए आसमान में लहरा रहे थे। सखी ने कहा - वह देखो प्यार। मैंने कहा - हां देखो ना प्यार बस बरसने को है तैयार। हमारे देखते ही देखते कुछ ही देर में हमारी हथेलियों में बूंदों के मोती झिलमिला रहे थे। मानसून अपने हजार रूप में खुशियों का खजाना लाता है।
किसी भी मौसम की तरह मानसून भी ऋतु परिवर्तन का हिस्सा है परंतु यह ऋतुराज है इसके आते ही मन मस्तिष्क में नव ऊर्जा उमंग उल्लास और आंखों में चमक भर जाती है।
स्मृतियों में लौट आते हैं बचपन के सुहाने दिन। वह कागज की कश्ती को पानी में तैराना। सड़कों पर पानी के छपाके लगाना। भीगे कपड़ों के साथ मिट्टी में सनकर घर लौटना। और कभी - कभी तो बस्तों का गीला हो जाना। बारिश का मौसम अपने भीतर जिंदगी के सतरंगी रंग समेट कर रखता है बिल्कुल एक तितली की भांति तभी तो हर एक नर नारी को इंतजार रहता है।
तपती गर्मी के बाद बारिश की रिमझिम बूंदों का हाथ में पानी की बरसती बूंदे लेकर बिन बात के ही मुस्कुराने का बारिश एक मौसम ही नहीं है, कुछ यादों की पोटली हैं पुरानी कुछ मन को बहलाने किस्से हैं हंसी मजाक के देती है जिंदगी को एक नई रवानी बारिश खुद में समेटे अनगिनत कहानी।
दमोह मध्य प्रदेश
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