खुद ब खुद ...
खुद ब खुद इश्क के रास्ते मिल गये।
प्रेम के जब मुझे काफिले मिल गये।
सामने धुंध अज़हद घनी थी मगर,
जब चले दो कदम रास्ते मिल गये।
ख़ूबसूरत ग़ज़ल सामने आ गयी,
काफिये जब मुझे बोलते मिल गये।
जब ग़लत रास्ते पर चला दो कदम,
बाप माँ तब वहाँ रोकते मिल गये।
फूल उसने दिये थे मुझे जो कभी,
कल किताबों में वो सब छुपे मिल गये।
हर कदम निश्चित सफलता ...
हर कदम निश्चित सफलता चाहते हैं।
हम सलीका औ सरलता चाहते हैं।
अब नहीं कोई गरलता चाहते हैं।
हम नहीं हरगिज़ विफलता चाहते हैं।
भूल कर भी छोड़िये मत अवसरों को,
ज़िन्दगी में गर सफलता चाहते हैं।
फिर समय के साथ चलना ही मुनासिब,
यदि नहीं हर पग विकलता चाहते हैं।
वक्त पर करने सभी हैं काम पूरे,
तेज बिजली सी चपलता चाहते हैं।
179,मीरपुर, छावनी, कानपुर -208004
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