राजेन्द्र कुमार सिंह
कुछ पल में ही दरवाजे से भीड़ छंट गई थी।दरवाजे से वापस आते ही हरिया ने काली के कानों में कहा-'तुम तो मंजे हुए कलाकार निकले।'
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हरिया ने उसे दूर से ही आते देख लिया था। कमली भाभी का हाव-भाव देखकर लगा कि वह काफी घबराई हुई है।
कमली के आते ही हरिया ने पूछ लिया-'क्या है भाभी!इतनी घबराई क्यों हो,क्या बात है ?'
कमली
रोते हुए बोली-रमना के बाबू को भूत पकड़ लिया है न जाने
क्या-क्या,अनाप-शनाप बक रहे हैं।भूत पकड़ लिया है उनको? ना जाने
क्या-क्या,अनाप-शनाप बक रहे हैं।
हरिया चेहरे पर बनावटी भाव लाकर कहा-'तुम चलो भाभी मैंआता हूं।'
जब हरिया कलिया के यहां गया तो वह एक कोने में शांत बैठा था।
पदध्वनि की आवाज सुन कलिया ने आंख खोलकर देखा। सामने उसके बचपन का यार हरिया खड़ा था।
'अरे क्या हुआ ?'
'कुछ नहीं।'तो इतना नौटंकी क्यों कर रहे हो।हरिया मोढ़े पर बैठते हुए कहा-'दरवाजे पर भीड़ लगी है।'
यह तो बाद में पता चला कि जिसके लिए यह नाटक रचा गया वह तो यहां है ही नहीं।
कमली तुम्हारे घर गई थी तभी नरपति आया था।वही कहा कि मोहना तो है ही नहीं।आज साले की सारीओझाई निकाल देते।'
'दीवारों के भी कान होते हैं यह जुमला ध्यान में आते ही हरिया दरवाजे पर
आकर कहा-'आपलोग भीड़ मत लगाइए।काली ठीक है।अब आप लोग अपने-अपने घर जाइए।'
कुछ पल में ही दरवाजे से भीड़ छंट गई थी।दरवाजे से वापस आते ही हरिया ने काली के कानों में कहा-'तुम तो मंजे हुए कलाकार निकले।'
प्रत्युत्तर में काली मुस्कुरा कर रह गया था।कमली उन दोनों की गुफ्तगू देख चबेना लाने के लिए दूसरे कमरे के अंदर चली गई थी ।
नौटंकी प्रारंभ होने के बाद नरपतिया आया था ।
काली ने मुस्कुराते हुए कहा-'तुम्हारी भाभी तो एकदम घबरा गई थी।'
' शाबाश काली। हरिया काली की पीठ थपथपाते बोला-'उस मोहना के बच्चे को छोड़ना नहीं है।'
'अब तुम ही बताओ हरि।मोहना ननिहाल में है नाना -नानी की जमीन जोतकरर कमा
खा रहा है।इसका किसी ने विरोध किया? किंतु ओझाई-भुताई के चक्कर में डालकर
गांव के महिलाओं को उल्लू बना कर पैसा ऐंठे यह कहां का न्याय है।
मुर्गा-दारु खाता पीता है सो अलग।'
'रामावती भाभी का ओझाई किया तो लड़का हुआ ।कुसुमा का ग्रह काटने का जाप किया तो नौकरी हुई।भला यह भी कोई बात हुई ।'
'तेरी भाभी बता रही थी कि उसकी नीयत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है।कह
रही थी गुनिया काकी के बेटी चनकी काओझाई रात में करेगा वह भीअकेले में।भूत
का जबरदस्त प्रकोप है।इसलिए उसको बच्चा नहीं हो रहा है।यह भी कोई बात है।
' साला दु अक्षर पढ़ गया है तो हम लोग से अधिक बुद्धिमान हो गया है ।'
तब तक कमली चबेना लाकर रख दी थी,और जाते-जाते उसने पूछ लिया -'अब कैसा तबीयत है रमना के बाबू?'
' बिल्कुल ठीक हूं रे तू जा ना।'कमली चली गई थी।क्योंकि चूल्हे पर रोटी
बनाने हेतु तवा रख आई थी।हरिया चबेना का एक फंका मुंह में डालते हुए
बोला-'कल मोहना आने वाला है ।
'तो नौटंकी का दूसरा भाग कल रखते हैं।'
' तुम बगैर सोचे समझे बात बात में टांग अड़ाते हो!'
हरिया हल्के गुस्से के उपरांत कहा-'यदि कल करोगे तो शक होना स्वाभाविक
है।इसलिए इसका दूसरा व अंतिम भाग अगले सप्ताह होगा।समझ गया न?'
'हां।'काली ने उसकी बातों में सहमति जताई-'जब फूल फार्म में आ जाऊंगा तब
तुमलोग मुझको पकड़ना।फिर यकायक विषय को बदलते हुए पूछा-'ये
सोहना,कइला,मोहल्ला नहीं दिखाई दे रहा।'
' इन लोगों को पहले ही मालूम हो गया था कि आज नौटंकी का खेल अधूरा रहेगा।इसलिए सभी अपने-अपने कामों में लगे हुए हैं।'
'सोहना तो कह रहा था कि मोहना इस बार आएगा तो पंद्रह दिन यहां से हिलने
वाला नहीं।क्योंकि अपने गांव के खेतों में पौधे लगाकर आएगा फिर यहां के
खेतों में पौधे लगाने का काम जब तक समाप्त नहीं हो जाता तब तक रहेगा।'
मोहना अपने गांव के खेती के कार्यों को निबटा कर अगले दिन ननिहाल आ गया था।
अगले सप्ताह सुनियोजित षड्यंत्र के मुताबिक अपनी अदाकारी निभाते हुए सभी कलाकारअपना-अपना मोर्चा संभाल लिए थे।
मोहना सुबह से ही ओझाई के कार्यों में लगा हुआ था। उसके दरवाजे पर अभी भी काफी भीड़ थी।उस दिन उसकी आमदनी काफी बढ़ गई थी ।
कलिया अनपढ़ था किंतु ज्ञान के मामले में पढ़े लिखे लोगों का कान काटता
था।वह जानता था किओझाई-मताई, झाड़-फूंक मात्र,अंधविश्वास के सिवा कुछ नहीं
होता।
अगले दिन शाम को कलिया भैंस चराकर लौटा।घरआते ही वह बीच आंगन
में धड़ाम से गिर पड़ा।उसके मुंह से झाग निकलने लगी थी।कलिया की दशा देखकर
कमली मोहना के घर की ओर लपकी।इधर रमना सबको इकट्ठा कर रहा था। मोहना के
आते ही हरिया,सोहना,मोहपला,नरपतिया सब के सब आ गए थेऔर कालिया को चारोंओर
से पकड़े हुए थे।मोहना नीम के डंडे से कलिया को मारते हुए पूछ रहा था-'तू
कौन है रे ?'
'मैं पीपल पेड़ वाला भूत हूं।'
'तूने कलिया को क्यों पकड़ा?'मोहना कड़कते हुए पूछा।
'यह उधर भैस चराने क्यों गया था।'
'तुमको अब कलिया को छोड़ना होगा ।'
'नहीं छोडूंगा ।'
'नहीं छोड़ेगा तो ले मजा चख।' इतना कह मोहना दांत पीसते हुए नीम के डंडे
से कालिया के पीठ पर बरसाने लगा। कालिया हाहाकार करते हुए कसकर एक झोंका
लिया।सब चारों खाने चित पड़ गए थे।कालिया,आंगन में पहले से मोटा डंडा एक
कोने में खड़ा करके रख छोड़ा था।उसने एक पल की देरी किए बिना झट डंडा उठा
लिया और मोहना को तड़ातड़ आठ दस डंडा जड़ दिया।गुस्से से उसके नथुने
फड़फड़ाने लगे थे।वह बोलते जा रहा था-'तू मेरा भूत हटाएगा कि मैं आज से
तेरी ओझाई छोड़वा दूंगा।'
मोहना अपना जान लेकर भाग खड़ा हुआ।वह बड़बड़ाते जा रहा था-'कलिया को हकीकत में भूत पकड़ा है ।'
उस दिन के बाद से मोहना ननिहाल में नहीं दिखा।शायद उसने अंधविश्वास की दुकान बंद कर दी है।
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