बड़े बिहनिया सूरज जागे। काम काज जम्मो सकलागे ।।
खेत खार मनखे हर भागे। परब हरेली संगी आगे । ।
नांगर बक्खर रापा गैती। धोये माँजे झटकुन चैती । ।
रगड़ रगड़ बइला नउहाये। चंदन बंदन माथ सजाये ।।
रदरद रदरद बरसे पानी। लइका लोग करय मनमानी ।।
भरे लबालब नदिया तरिया। परे रिहिस जी जेहर परिया ।।
दाई चीला मीठ बनाये। गुड़ के चीला भोग लगाये ।।
गोल बनाये भइया लोंदी। देखत राहय बइठे कोंदी ।।
फूल दूध अउ लोंदी गोला। धर के जाये झटकुन भोला ।।
माई लोगिन सब सकलाये। नाग देव ला दूध पियाये ।।
हे भगवन रक्षा तै करबे। दुख पीरा ला सब के हरबे ।।
खेत खार मा डोलय पाना। तब मनखे ला मिलही दाना ।।
रच रच रच रच चढ़हे गेड़ी। टांँग टांँग के राखय एड़ी ।।
खो खो फुगड़ी दौड़ लगाये। लइका लोगन सब सकलाये ।।
खोंचय भोंदू निमुआ डारा। धर के झोला घूमय पारा ।।
कन्द मूल ला घर घर बांँटे। बीमारी ला ओहर काटे ।।
बैगा मन हर भूत भगावै। मनखे मन ला अबड़ डरावै ।।
अंँधविश्वासी संगी छोड़ो। नाथ शिवा से नाता जोड़ो ।।
हमर गाँव के सुघर हरेली। नाचय गावय सखी सहेली ।।
साथ रहे के इही निशानी। परब हरेली हवै कहानी ।।
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com
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