अंकुर सिंह
राखी भेजवा देना
अबकी मैं ना आ पाऊंगा।
काम बहुत हैं ऑफिस में,
मैं छुट्टी ना ले पाऊंगा।।
कलाई सुनी ना रहें मेरी,
तुम याद ये रख लेना।
अपने भाई के पते पर,
राखी तुम भेजवा देना।।
ये महंगाई है सबपे भारी,
फिर भी राखी भेजवाना।
गर पूछे भांजी भांजा तो,
उन्हें मामा का प्यार कहना।।
राखी पर ना मेरे आने से,
तुम मुझसे ना रूठ जाना।
हाथ जोड़ कर रहा निवेदन,
राखी जरूर भेजवा देना।
भेज रहा राखी उपहार संग,
चिट्ठी में प्यार के दो बोल।
माफ करना अपने भाई को,
मना न सका पर्व अनमोल।।
राह देख अबकी तुम मेरी,
राखी थाली सजा ना लेना।
मेरे छुट्टी का है बड़ा झंझट,
भेज राखी तुम फर्ज निभाना।
पंद्रह अगस्त
पंद्रह अगस्त सैंतालीस को,
दिवस कैलेंडर था शुक्रवार।
मिली हमें आजादी इस दिन,
खुला अपने सपनों का द्वार।।
आजादी के साथ देश ने,
बंटवारे का दर्द भी झेला।
आजादी खातिर गोरों ने,
खून की होली हमसे खेला।
आजादी की चाहत दिल में,
सत्तावन में दहक उठी थी।
कोलकत्ता के बैरकपुर में,
मंगल की गोली बोली थी।।
उन्नीस सौ सैंतालीस के पहले,
अपनी भी बड़ी लाचारी थी।
ब्रिटिश सरकार जुल्म ढहाती,
फिरंगी सरकार दुष्टाचारी थी।।
सत्ताइस फरवरी इकतीस को,
आजाद ने खुदपर पिस्टल ताना।
पच्चीस साल का नव-युवक,
आजादी का था दीवाना ।।
उन्नीस सौ उन्तीस में
पूर्ण स्वराज्य की मांग किया।
अगस्त बयालीस में गांधी ने,
'भारत-छोड़ो' का एलान किया।
कई शहादत के बाद हमने,
आज तिरंगा लहराया।
नमन वीरों के कुर्बानी पर,
जिससे देश आजादी पाया।
जय हिन्द !
जन्माष्टमी
भादो मास के अष्टमी,
कृष्ण लिए अवतार।
पुत्र मैया देवकी का,
बना सबका तारणहार।।
मथुरा के कारागार में जन्मे,
बाल-लीला किए गोकुल में।।
यमुना किनारे खेले-खाले
शिक्षा लिए गुरुकुल में।।
गोकुल में चोरी - चोरी,
माखन चुरा खूब खाते थे।
मित्र-मंडली और यारो संग,
कृष्ण गईया चराने जाते थे।।
हाथो में होती इनके मुरली,
मुकुट की शोभा बढ़ाता मोर।
यशोदा मैया का ये लाडला,
कहलाता आज भी माखन चोर।।
हे केशव, हे माधव, सुनो हे गोपाल,
इस जीवन में पीड़ा मुझे है अपरम्पार ।
मुरली वाले प्रभु, मुरली बजाकर ,
कर दो मेरी नैया को तुम पार।।
आज पर्व है प्रभु जमाष्टमी का,
कर दो मुझपर इतना उपकार।
हर पल, हर क्षण हम भक्ति करे,
और तुम करो मेरे जीवन का उद्धार।।
हरदासीपुर, चंदवक
जौनपुर, उ. प्र. -222129.
मोबाइल - 8367782654.
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