महेंद्र राठौर प्यार के मोती सजाकर उम्र भर देखेगा कौन
ज़िंदगी का रस्ता मेरे हमसफ़र देखेगा कौन
कमसिनों से इसके बाबत बात करना न कभी
दिल पे क्या गुज़री है जाने ये असर देखेगा कौन
गर ज़ुबां से न हो प्यारे आंखों से फिर बोल दे
वरना तुझको ये मोहब्बत की नज़र देखेगा कौन
साथ चलने से हक़ीक़त के ही मिलती है खुशी
दिल में तेरे प्यार का जो है शहर देखेगा कौन
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