व्ही.व्ही.रमणा "किरण"
जब आप हमारे साथ होगे,तब तुम्हारे साथ नहीं होगें।
इक मुक्कमल उड़ान से ,तुम छू सकतें हो, आसमां को
घूमते हुए पिंड होगें,तेरे जहां के नजारे साथ नहीं होगें।
उतरना तुम्हें कहां पर,ट्रेन के सफ़र मे, सब तय होता
तेरे इश्क के सफ़र मे, राधा के प्यारे साथ नहीं होगें।
पत्ते, फूल,फल,दरख्त से अलग होते हैं तयशुदा वक्त मे
तबतक कटते नहीं पतंग,जब तेरे इशारे साथ नहीं होगें।
गर इश्क न हो, तैरने के लिए दरिया मे कोई उतरता नहीं,
दरिया को तुम पार कर लो,पर इश्क के मारे साथ नहीं होगें।
डूबते- डूबते डूबते इश्क को समझे दीवाने, डूबकर ही
महफिल मे आवारे तुम्हारे होगें, कुंवारें साथ नहीं होगे
बिलासपुर,छत्तीसगढ़
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