नीरव
रंग बिरंगी राखी आया,
रजनी बीती भोर हो आया,
सावन पूनम घण्टा बजाया ।
उठी भोर को सँवरी बहना,
माथे पे बिंदी तन पे गहना ।।
सुनी है भाई की कलाई,
बाजार जाके राखी लाई ।
रोली अक्षत थाल सजाई,
स्नेह की मिठाई मिलाई ।।
चली बाँधने भैया के घर,
बाहों में ज्यूँ लग गए पर ।
पहुँच गयी भैया के द्वार,
करी भाभी ने सत्कार ।।
राखी बांध लेती बलैया,
जुग जुग जिये मेरे भैया ।
भाई बहन का अटूट प्यार,
ऐसा है राखी का त्यौहार ।।
राजनांदगांव (छ. ग.)
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