चन्द्रहास साहू
मो - 8120578897
"दोना ले लो ओ ...!''
"पतरी मुखारी ले ले ओ..!''
"लाई ले ले ओ.... !''
दुनो
मोटियारी ओरी-पारी आरो करत हावय। आज झटकुन उठ गे हावय दुनो कोई। मुड़ी मा
गुड़री , गुड़री मा पर्रा , पर्रा मा टुकनी , टुकनी मा लाई दोना पतरी दतोन
मुखारी । छोटे दाऊ पारा ला चिचिया डारिस। थोकिन बेच घला डारिस। अब तेली
पारा जावत हावय। जम्मो बच्छर बेचथे जम्मो नेग - जोग के जिनिस ला अपन गाँव
अउ आने दू चार गाँव मे। दोना पतरी वाली नवइन रेवती अउ केंवटिन हा लाई ला
बेचत हावय । फेर आज तो रेवती के अन्तस मा जइसे कोनो पथरा लदकाय हावय।
"का होगे दीदी ? आज तबियत बने हावय न !''
"हव बहिनी ! बने हावव।''
रेवती
हुकारु दिस फेर मन मा अब्बड़ बादर गरजत रिहिस। गौरा चौरा करा अब थिरागे
दुनो कोई। पारा के आने माईलोगिन मन सकेलागे रिहिन। पर्रा के दोना पतरी ला
निमारे लागिस।
" मेंहा देवत हँव बहिनी तुमन झन छांटो। आ बहिनी रमेसरी नेंग-जोंग के जिनिस ला बिसा ले।'' रेवती अउ केंवटिन दुनो कोई किहिस।
रमेसरी दुवार लिपत रिहिस। खबल - खबल हाथ धो डारिस। भीरे कछोरा मा आइस महुआ झरे कस हाँसत।
"का होगे या ..?''
अब्बड़ खुलखुल हाँसत हस बाई । केवटिन के आरो ला सुनके किहिस।
"अई तुमन मोर घर मा आये हव तब हाँसहु नही, तब रोहू या...। अब्बड़ धुर्रा होगे रिहिस बहिनी तेखर सेती दुवार लिपत हँव।
फेर ..?''
"फेर..का ?'' समारिन किहिस।
"फेर अउ का....? पानी गिरत हावय नइ देखत हस ?''
अब छे सात झन उपासिन मन सकेलागे रिहिन। जम्मो कोई हाँसे लागिस रमेसरी के गोठ ला सुनके। पारा भर गमकत हावय अब।
"
सिरतोन काहत हस दीदी ! ये अखफुट्टा इंदर देव हा अइन्ते - तइन्ते बुता करथे
। चौमासा मा घाम टड़ेरथे अउ गरमी मा पूरा बोहाथे। तेखर सेती राच्छस मन
नंगतेहे कूटथे ओला ओ..।''
बिसाहिन किहिस अउ फेर खुलखुल हाँसीस।
"ओ
रोगहा इंदर भगवान के गोठ तो झन कर दीदी पर के गोसाइन बर नियत डोला दिस
कुकरा बन के पर घर खुसरगे। भगवान मन अइसने नियत खोटा करही तब मइनखे मन के
का होही ..?''
धरमिन
आय। ओखरो गोठ अब मिंझरगे रिहिस। गघरा भर पानी मुड़ी मा बोहो के आवत रिहिस।
छलकत पानी अउ पानी मा मिंझरे मांग के लाली कुहकू जतका खाल्हे उतरत हावे
ओतकी रंग कमतियावत हावय अउ मन मा उछाह के रंग चढ़े लागिस। माथ ले नाक , नाक
ले नरी अउ नरी ले उतरके छाती मा हमागे पानी हा।
"पसहर चाउर बिसाहू का बहिनी...?''
"वहु तो अब सोना होगे हावय ओ ।''
"धरमिन अउ रमेसरी गोठियावत रिहिस।
कामे तौलही रेवती दीदी हा। तोला मे.., किलो मे.., कि पैली मे.. ?''
जम्मो कोई फेर हाँसे लागिस।
" पबित्तर जिनिस हा मँहगा तो रहिबे करही दीदी !'' केवटिन किहिस।
" लइका लोग सब बने- बने हावय न बेटी रेवती !''
महतारी
कस मंडलीन डोकरी के गोठ सुनके रेवती अब दंदरे लागिस। आँसू के बांध अब रोहो
- पोहो होगे। पीरा छलकगे। घो..घो..हि.. हि... हिचकी मार के ..अउ अब गोहार
पार के रो डारिस। रेवती के बेटी रितु हा काली मंझनिया ले बिन बताये कही चल
देहे। कुछु बताये के उदिम करिस रेवती हा फेर मुँहू ले बक्का नइ फूटे।
"ओ काला बताही ओ ! रेवती के टूरी हा अनजतिया टूरा संग उड़हरिया भगा गे हे तेला।''
कोतवाल आवय। ओखर बीख गोठ ला सुनके झिमझिमासी लागिस रेवती ला।
"कलेचुप
रहा कका ! सरकारी दस एकड़ खेत ला पोटारे हस तेखर सेती आनी-बानी के उछरत
हावस। माईलोगन के मरजाद ला नइ जानस। गरीबीन ला ठोसरा मारे के टकराहा हस ।''
" कुकुर के पुंछी कहा ले सोझियाही ?''
रमेसरी अउ धरमिन आवय झंझेटत रिहिन।
रेवती भलुक गरीबीन रिहिस फेर अब्बड़ दुलार अउ मया पाये रिहिस माइके मा।
कोनो महल अटारी के नही भलुक कुंदरा के राजकुमारी रिहिस रेवती हा। राजकुमार
मिलिस तब तो सिरतोन के राजकुमार बनगे रेवती बर। फेर गरीबीन के भाग मा उछाह
नइ लिखाये राहय । मंद महुआ पियाईया राजकुमार हा टूरी के छट्ठी के पार्टी
बच्छर भर ले मनावत रिहिस। पार्टी नइ सिराइस फेर राजकुमार सिरागे।
आँसू के एक- एक बूँद ला सकेलतीस ते समुन्दर ले आगर हो जाही..। कतका दुख के
पहार ला छाती मा लदके हावय कि हिमालय कमती हो जाही। कतका ठोसरा अउ अपमान
सहे हे ...कोनो नइ जाने। बेटी के कल्थी मारत ले बइठत तक। बइठत ले मड़ियावत
तक । मड़ियावत ले रेंगत तक। अउ रेंगत ले उड़ाहावत तक...। अउ उड़हाये लागिस तब
तो झन पुछ ..! काखर आँखी मा नइ गड़े लइका हा..। पांख ले थोड़े उड़ाथे बेटी मन
..? अपन मिहनत मा सब ला जानबा करा देथे। गोड़ तिरइया मन उही मेर भसरंग ले
मुड़भसरा गिर जाथे।
बेटी बारवी किलास मा पूरा राज मा पहेला आये हावय। पेपर छपिस जयकारा होइस।
"बेटी! तिही मोर जैजात आवस। न गाँव मा दू कुरिया के घर बिसा सकत हँव, न खार
मा खेत । ..अउ घर अउ खेत रहे ले मइनखे पोठ हो जाथे का ? जैजात आवस बेटी
तोला देख के मालगुजार कस महु हा छाती फुलोथो। अउ अइसना फुलत रहु सबरदिन।
फेर आज फुग्गा फुटगे। गुमान टुटगे। हवा निकल गे ।
"भागना रिहिस ते हमर जात सगा के का दुकाल रिहिस ओ ? पठान टूरा संग...छी छी...।'' कोतवाल फेर बीख बान छोड़त रेंग दिस।
रेवती के मन गवाही नइ दिस फेर गाँव के पटवारी कका बताइस तब कइसे नइ
पतियाही ? उही तो आय पुरखा घर के एक खोली ला अतिक्रमण हाबे कहिके टोरवाये
रिहिन।
"मेहाँ देखे हँव रेवती बेटी ! बड़का अरोना बेग ला पीठ मा लाद के ओ टूरा संग भुर्र होगे तेला।'' पटवारी फेर किहिस।धिरलगहा पतियाये लागिस रेवती हा.. फेर मन नइ पतियावत हावय।
"इंजीनियरिंग
कालेज के तीर मा मोटियारी टूरी के लाश मिलिस दू चार दिन पाछू। बदन के
जीन्स टी शर्ट जम्मो चिरागे रिहिस। पुलिस केस मा पता चलिस - कबाड़ी वाला के
बेटा आवय सलमान । टूरी ला अपन मया मा फँसाये के उदिम करिस अउ नइ फँसिस तब
चारो कोई ओरी पारी..।''
पटइल कका आवय। रेवती के जी कलप गे। मुँहु चपियागे टोटा सुखागे फेर पानी के एक बूँद नइ पियिस।
"आजकल
नवा चरित्तर उवे हे भइयां ! लव जिहाद कहिथे। आने जात के मन मया मा फँसा
लेथे। टूरी ला मुनगा चुचरे सही चुचर लेथे। खेत जोतके बीजा डार देथे अउ छोड़
देथे ..खुरचे बर। ये जम्मो डंफायेन हा बड़का शहर मा चले । अब हमर गाँव देहात
मा घला आ गेहे। धन हे श्री राम जी..! तिही बता भगवा रंग ला कइसे अइसन खतरा
ले उबारबोन तेला।
?''
पुजारी आय मंदिर ला माथ नवावत किहिस।
रेवती
काला जानही घरखुसरी हा, लव जिहाद - फव जिहाद ला। अपन बुता ले बुता राखथे।
उही पुजारी आवय जौन हा डांग-डोरी, देवी-देवता, देव- आंगा देव ला नचा लेथे।
रेवती बम्फाड़ के रो डारिस।
धिरलगहा पतियाये लागिस रेवती हा.. फेर मन नइ पतियावत हावय।
अभिन बारवी पढ़ के निकले हावय,कइसे मया के मेकरा जाला मा अरहज जाही ? अरहज
सकथे न!,नेवरिया घर बारवी पास नइ होवन पाइस अउ बिहाव कर दिस।..अउ ओ खोरवा
मंडल के दसवीं पढ़इया नतनीन.. अब्बड़ आनी-बानी के गोठ सुनथो। ओमन अइसन करत
हावय तब मोर बेटी...? अब्बड़ गुनत-गुनत अंगरी मा गिन डारिस। लइका हा छे
बच्छर मा बड़े स्कूल मा भरती होइस। बारा बच्छर ले पढ़ीस । बारा छे अट्ठारा..।
"अई''
रेवती के मुँहु उघर गे। लइका संग्यान होगे। इही उम्मर मा ओखर खुद के बिहाव होये रिहिस।
रेवती के आँसू भलुक सुक्खागे रिहिस फेर आँखी उसवागे रिहिस।
"कोन
पठान टूरा आवय रे ..? हमर गाँव के बहु बेटी ला बिगाड़त हे। अभिन थाना मा
फोन करथव । भगवा रंग वाला मन ला घला सोरियावत हँव । ओ पठान टूरा के बुकनी
झर्रा दिही ओमन।''
सरपंच आवय रखमखा के आइस, तमकत हे।
"
महु देखे हँव ओ रितु नोनी ला । कोन आय तेला नइ चिन्हे हँव फेर सादा कुरता
पैजामा अउ मुड़ी मा हरियर टोपी पहिरके तहसील ऑफिस कोती जावत रिहिस।''
गाँव के डॉक्टर आय।
" मोला तो कोर्ट मैरिज करे बर जावत रिहिन अइसे लागथे।'' सरपंच फेर किहिस।
धिरलगहा पतियाये लागिस रेवती हा.. फेर मन नइ पतियावत हावय अभिन घला।
रेवती घर अमरगे रिहिस। अउ घर ले दोना पतरी ला उपासिन मन ला बेचत हाबे। फेर
मोटियारी बेटी के संसो मा काला धीरज धरही ? कभु डॉक्टर करा जातिस कभु
वकील करा कभु बइगिन करा तब पहटनीन करा । कतको बेरा फोन घला लगाइस फेर स्विच
ऑफ आइस।
जेखर संग मया कर तेखर संग बिहाव घला करना चाही । नही ते..? मया ही झन कर।
रूखमणी हा भाग नइ सकिस तभे भगवान किसन ला भगाये बर किहिस । अउ रूखमणी ला
हरन करके लेगगे किसन जी हा। रितु हा महाभारत देखत- देखत केहे रिहिस अउ
रेवती बरजे रिहिस । नानचुन टूरी अउ आनी - बानी के गोठ करथस। जइसे पढाई मा
हुशियार हावय वइसने खेलकूद लड़ई झगड़ा सब मा अगवाये हाबे...अउ मया मा भागे
बर...?
धिरलगहा पतियावत- पतियावत अब सिरतोन पतियाये लागिस रेवती हा.. ।
बेरा चढ़गे अब। महुआ पत्ता के दोना पतरी ला कतको झन ला बेचिस अउ कतको झन ला
फोकट मा घला दिस। कतको झन ला छे किसम के अन्न राहर जौ तिवरा चना बटरा अउ
लाई दिस। छे किसम के खेलाउना बनाइस बाटी भौरा गिल्ली डंडा धनुष बाण गेड़ी।
पसहर चाउर ( लाल रंग के धान जौन पानी के स्रोत मा अपने आप जाग जाथे
सुंघा/कांटा रहिथे। बाली ला सुल्हर लेथे दीदी मन अउ रमन्ज के चाउर
निकालथे-लाल रंग के चाउर ) ला रांधिस बिन जोताये खेत ले छे किसम के भाजी
सकेल डारिस अमारी मुनगा कुम्हड़ा लाल पालक बथवा भाजी। गाँव के डेयरी ले दूध
मही घीव ले आनिस। अउ अब जम्मो तियारी करके गौरी - गौरा चौक मा रेंग दिस।
मंडप साजे हे। सगरी बने हावय सुघ्घर अउ पार मा खोचाये हे चिरइया फूल कनेर
कांसी दूबी अब्बड़ सुघ्घर। दाई-माई बहिनी मन घला अपन जम्मो सवांगा पहिरे-
ओढ़े । मेहंदी मा रंगे हाथ अउ आलता माहुर मा गोड़। चुरी वाली अउ बिन चुरी
वाली सब बइठे हावय संघरा। लइका के उज्जर भविस बर असीस मांगत हावय जम्मो
उपासिन मन कमरछठ महारानी ले।
"अब
तोरे आसरा हावय ओ कमरछठ दाई !'' रेवती के ऑंसू बोहागे महराज के पैलगी
करत। दिन भर के निर्जला उपास । जम्मो कोती अँधियार लागिस। लटपट घर अमरिस अउ
सुन्ना घर मा समावत पारबती भोले नाथ के फोटू ला पोटार लिस। बेसुध होगे। जग
अँधियार लागत हाबे अब रेवती ला। काबर नइ लागही ? मोटियारी बेटी घर ले
निकलगे हाबे। न कोनो सोर न कोनो संदेश। एक-एक मइनखे के दस-दस मुँहू होगे
हे। आनी-बानी के गोठ गोठियाथे। पेपर टीवी मा तो फकत ब्रेकिंग न्यूज
आय-मासूम संग दुष्कर्म, नाबालिक ला उड़हरिया भगा के लेग गे, ....अउ मर्डर के
खबर। .....मोरो बेटी संग .... कुछु अनहोनी.... तो नइ....? रिकम- रिकम के
विचार के गरेरा चलत हे रेवती के मन मा। कोन जन कब थिराही ये बवंडर हा।
रेवती के जी काँपगे। रुआँ ठाड़ होगे। माटी होवत हाबे रेवती के क्या हा।
उदुप ले मोहाटी के कपाट बाजिस अउ नोनी रितु हा खुसरिस भीतरी कोती। बटन ला मसक के लट्टू बारिस।
"दाई ! ''
ये आखर रेवती बर संजीवनी बूटी रिहिस। झकनका के उठिस अउ लइका ला पोटार लिस। नोनी रितु के नरी मा झूल गे।
"गाँव भर नाच नचा डारे। पदनी-पाद पदो डारे । जिहाँ जाना हे, बता के जाना रिहिस तोला कब बरजे हँव बेटी ! झन जा कहि के । '' रेवती रोवत रिहिस अउ रितु के गाल घला झन्नागे दाई के चटकन ले।
"दाई रायपुर गे रेहेंव। अब तोर बेटी हा मेडिकल कालेज मा पढ़ही ओ !''
मुचकावत रिहिस रितु हा।
"अउ पइसा ? ''
"लोन
लेये हँव, शिक्षा लोन। फरहान भइयां जम्मो बेरा पंदोली दिस फारम भरे अउ लोन
निकाले बर। मोर संगी रुखसाना के भाई आय ओ ! फरहान हा। रायपुर दुरिहा हे
तेखरे सेती अगुवाके काली गे रेहेन मेहां रुखसाना अउ फरहान भइयां तीनो झन।
आजे आखरी दिन रिहिस काउंसिलिंग के । मोबाइल घला मरगिस तब का करहु। जाथो
कहिके पटेलीन डोकरी ला घला बताये रेहेंव । भैरी सुरुजभूलहिन नइ बताइस ?
नानचुन गोठ बर झन संसो करे कर।''
रितु मुचकावत रिहिस अउ रेवती के ऑंसू पोछत किहिस।
टूरा
के जेवनी कोती अउ टूरी के डेरी कोती पोता मारथे। नानकुन कपड़ा ला पिवरी
छुही मा बोर के रितु के डेरी कोती पोता मारे लागिस। छे बार पोता मारके
आसीस दिस खुलखुल हाँसत रेवती हा अब।
बिन
जोताये खेत मा उपजे चाउर कस पाबित्तर लागत रिहिस अब रितु हा। अउ गाल मा
उछाह के रंग दिखत रिहिस सिरतोन पसहर चाउर कस कस लाल-लाल ।
द्वारा श्री राजेश चौरसिया
आमातालाब के पास
श्रध्दा नगर धमतरी छत्तीसगढ़
493773
मो. - 8120578897
आमातालाब के पास
श्रध्दा नगर धमतरी छत्तीसगढ़
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