बलविंदर बालम
रिश्ते ऐसे ढल गए कहते तू क्या है?
खोटे सिक्के चल गए कहते तू क्या है?
इक इक कर के जीवन के सरमाये से,
हौले हौले पल गए कहते तू क्या है?
कौन से खेत बिगाने की तू मूली है,
ठग्गों को ठग छल गए कहते तू क्या है?
अपने आपको समझते थे जो पाटे खां,
वह अर्थी पर कल गए कहते तू क्या है?
कौन सी खिदमतदारी की तू बात करें,
हंस कौओं में रल गए कहते तू क्या है?
चूल्हे ऊपर ग़ैर किसी की रोटी को,
अंधे बहरे थल गए कहते तू क्या है?
क्यों तू सिर पर पर्वत उठाए फिरता है,
आग में पत्थर ढल गए कहते तू क्या है?
एक छोटी सी चिंगारी की लाली से,
सारे जंगल जल गए कहते तू क्या है?
बालम, सरसर तेज़ हवाओं के आगे,
काले बादल ठल गए कहते तू क्या है?
ओंकार नगर गुरदासपुर पंजाब
एडमिंटन कनेडा,919815625409
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें