नीतू दाधिच व्यास
गम तो साथ ही है क्यूं न थोड़ा मुस्कुरा कर जिया जा,
कभी तू मुझपर हँस दे, बचपन की तरह,
कभी मैं तुझपर हँस दूँ, यूँ ही बेवजह,
चल ऐसे ही सही, हँसने का कारण लिया जाए,
गम तो साथ ही है, क्यूं न थोड़ा मुस्कुरा कर जिया जाए?
कुछ कदम तू चलकर आ, खत्म करके सारे अहम,
कुछ कदम मैं आऊँ, मिटाकर सारे वहम,
चल ऐसे ही ज़िन्दगी का, सफ़र तय किया जाए,
गम तो साथ ही है, क्यूं न थोड़ा मुस्कुरा कर जिया जाए?
कुछ बात मैं कह दूँ, तो तू सुन ले मेरे दिल की,
कुछ बात तू कह दे, तो मैं सुन लूँ तेरे दिल की,
चल दिलों की बातों को, प्रेम के शब्दों में पिरोया जाए।
गम तो साथ ही है, क्यूं न थोड़ा मुस्कुरा कर जिया जाए?
कभी कर तू ये वादा, मुझसे रिश्ता कभी न टूटेगा,
कभी करूँ मैं ये वादा, तुझसे दामन तेरा कभी न छुटेगा,
चल इन वादों को, आख़िरी साँस तक निभाया जाए,
गम तो साथ ही है, क्यूं न थोड़ा मुस्कुरा कर जिया जाए।
कभी तू कर कोशिश, मेरी मुश्किलें मिटाने की,
कभी मैं करूँ हिम्मत, तुझे हर पल जिताने की,
चल साथ मिलकर, हर बाधा से पार पाएँ,
गम तो साथ ही है, क्यूं न थोड़ा मुस्कुरा कर जिया जाए।
इस अंक के रचनाकार
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सोमवार, 29 अगस्त 2022
गम तो साथ ही है ...
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