डॉ. पीसी लाल यादव
सुनो - सुनो ग मितान,हिरदे म धरो धियान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
एके बिधाता के गढ़े, चारों बरन हे।
ओखरेच हाथ म, जीवन - मरन हे।।
काबर करथस गुमान? सब ल अपने जान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
सत के जोत,घासी दास जगाय हे।
दुनिया ल सत के, ये रद्दा देखय है।।
झन कर हिनमान, ये जोनी हीरा जान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
जीव - जगत बर सत सऊँहे धारन ये।
मया मोह अहम दुख पीरा के कारन ये।।
झन डोला तैं ईमान,अंतस उपजा गियान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
साँसा - साँसा संगी, सतनाम सुमर ले।
सतसंग करके तैंहा, चारों धाम घुमर ले।।
कहिथे पोथी - पुरान,कर सत के गुनगान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
सुनो - सुनो ग मितान,हिरदे म धरो धियान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
एके बिधाता के गढ़े, चारों बरन हे।
ओखरेच हाथ म, जीवन - मरन हे।।
काबर करथस गुमान? सब ल अपने जान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
सत के जोत,घासी दास जगाय हे।
दुनिया ल सत के, ये रद्दा देखय है।।
झन कर हिनमान, ये जोनी हीरा जान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
जीव - जगत बर सत सऊँहे धारन ये।
मया मोह अहम दुख पीरा के कारन ये।।
झन डोला तैं ईमान,अंतस उपजा गियान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
साँसा - साँसा संगी, सतनाम सुमर ले।
सतसंग करके तैंहा, चारों धाम घुमर ले।।
कहिथे पोथी - पुरान,कर सत के गुनगान।
बाबा के कहना मनखे - मनखे एक समान।।
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