ज़िदगी के टेढ़े - मेढ़े पथ
वक्त के थपेड़ों से घबराता हूँ
कभी ठोकर इतनी जोर से लगती है
गिर भी पड़ता हूँ, पर डरता नहीं हूँ
मुश्किलों का सामना करता हूँ
संभल कर आगे बढ़ता हूँ...
मानता हूँ कि जब वक्त अच्छा न चल रहा हो
तो खराब दौर में पराए तो पराए हैं
अपने भी साथ चलने को तैयार नहीं होते हैं
क्रोध तो आता है, खुद में जब्त कर जाता हूँ
अपने बुरे वक्त का विश्लेषण करता हूँ
कदापि हिम्मत न खोता हूँ
दुगने उत्साह से चल पड़ता हूँ ...
जिंदगी तुमसे अच्छे कर्म करने का,मैं वादा करता हूँ
कांटो का ताज मुझे मिला है
पर सोचता हूँ कि कांटो के साथ
गुलाब भी खिला होता है
दुःखों के पहाड़, मेरे लक्ष्य में विघ्न करेंगे
मुझे खुद पर पूर्ण विश्वास है
जिंदगी को खूबसूरत बनाने का
मेरे द्वारा किए जा रहे प्रयास हैं
निश्चित ही बेहतर करूँगा,निश्चय ही श्रेष्ठ करूँगा
और सफलता का वरण करूँगा
इसी उम्मीद में अकेले ही
मैं निकल पड़ता हूं ...
माना कि सत्य मौन है,लेकिन सत्य अटल है
अंततः सत्य सफल होता है,सत्य का अनुगमन कर
जिंदगी को अब तक जिया है
भले ही सफलता का अमृत रस
अभी तक नहीं पिया है,
वक्त ने मेरा साथ नहीं दिया है
अनीति के सरल सुगम पथ पर
विजय श्री का न करूँगा आह्वान
मुझे नहीं चाहिए ऐसा सम्मान
सद के टेढ़े - मेढ़े पर्वत पर
मैं आनंदमग्न होकर चढ़ता हूँ ...
याद आने लगती हो ...
कुछ लिखने का मन करता है
कलम और डायरी उठाता हूँ
शब्दों को कोरे कागज पर उतारने की
कोशिश करता हूँ
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो ...
चाहता हूँ समाज और राष्ट्र के समसामयिक
परिदृश्यों पर कुछ लिखना
पर प्रेम कविताएं आकार लेने लगती हैं शब्दों से
दिल दिमाग पर हावी हो जाता है
दिल की किताब के हर पृष्ठ पर
तुम नजर आती हो
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो ...
मस्तिष्क को केंद्रित करना चाहता हूँ
सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध
लिखना चाहता हूँ
शोषण और अत्याचार से पीड़ित
दुखित व्यथित लोगों की
आवाज बनना चाहता हूँ
शब्दों से नई बात लिखना चाहता हूँ
अचानक शब्दों में तुम्हारा चेहरा नजर आता है
तुम्हारे साथ बीते हुए पल याद आने लगते हैं
शब्द तुम्हारे प्रेम की खुशबू से सरोबार हो जाते हैं
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो ...
तुम्हारे प्यार की आंच
तुम्हारे हथेलियों की गर्माहट
तुम्हारे साथ बिताए वो खुशनुमा पल
और अब तुम्हारी प्रतीक्षा
सृजन के शब्द अब तुम्हारे इर्द - गिर्द घूमते हैं
वो कौन सा पवित्र दिवस होगा
जब तुम आओगी
मेरे जीवन में खुशनुमा सुबह होगी
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो ...
वक्त के थपेड़ों से घबराता हूँ
कभी ठोकर इतनी जोर से लगती है
गिर भी पड़ता हूँ, पर डरता नहीं हूँ
मुश्किलों का सामना करता हूँ
संभल कर आगे बढ़ता हूँ...
मानता हूँ कि जब वक्त अच्छा न चल रहा हो
तो खराब दौर में पराए तो पराए हैं
अपने भी साथ चलने को तैयार नहीं होते हैं
क्रोध तो आता है, खुद में जब्त कर जाता हूँ
अपने बुरे वक्त का विश्लेषण करता हूँ
कदापि हिम्मत न खोता हूँ
दुगने उत्साह से चल पड़ता हूँ ...
जिंदगी तुमसे अच्छे कर्म करने का,मैं वादा करता हूँ
कांटो का ताज मुझे मिला है
पर सोचता हूँ कि कांटो के साथ
गुलाब भी खिला होता है
दुःखों के पहाड़, मेरे लक्ष्य में विघ्न करेंगे
मुझे खुद पर पूर्ण विश्वास है
जिंदगी को खूबसूरत बनाने का
मेरे द्वारा किए जा रहे प्रयास हैं
निश्चित ही बेहतर करूँगा,निश्चय ही श्रेष्ठ करूँगा
और सफलता का वरण करूँगा
इसी उम्मीद में अकेले ही
मैं निकल पड़ता हूं ...
माना कि सत्य मौन है,लेकिन सत्य अटल है
अंततः सत्य सफल होता है,सत्य का अनुगमन कर
जिंदगी को अब तक जिया है
भले ही सफलता का अमृत रस
अभी तक नहीं पिया है,
वक्त ने मेरा साथ नहीं दिया है
अनीति के सरल सुगम पथ पर
विजय श्री का न करूँगा आह्वान
मुझे नहीं चाहिए ऐसा सम्मान
सद के टेढ़े - मेढ़े पर्वत पर
मैं आनंदमग्न होकर चढ़ता हूँ ...
याद आने लगती हो ...
कुछ लिखने का मन करता है
कलम और डायरी उठाता हूँ
शब्दों को कोरे कागज पर उतारने की
कोशिश करता हूँ
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो ...
चाहता हूँ समाज और राष्ट्र के समसामयिक
परिदृश्यों पर कुछ लिखना
पर प्रेम कविताएं आकार लेने लगती हैं शब्दों से
दिल दिमाग पर हावी हो जाता है
दिल की किताब के हर पृष्ठ पर
तुम नजर आती हो
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो ...
मस्तिष्क को केंद्रित करना चाहता हूँ
सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध
लिखना चाहता हूँ
शोषण और अत्याचार से पीड़ित
दुखित व्यथित लोगों की
आवाज बनना चाहता हूँ
शब्दों से नई बात लिखना चाहता हूँ
अचानक शब्दों में तुम्हारा चेहरा नजर आता है
तुम्हारे साथ बीते हुए पल याद आने लगते हैं
शब्द तुम्हारे प्रेम की खुशबू से सरोबार हो जाते हैं
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो ...
तुम्हारे प्यार की आंच
तुम्हारे हथेलियों की गर्माहट
तुम्हारे साथ बिताए वो खुशनुमा पल
और अब तुम्हारी प्रतीक्षा
सृजन के शब्द अब तुम्हारे इर्द - गिर्द घूमते हैं
वो कौन सा पवित्र दिवस होगा
जब तुम आओगी
मेरे जीवन में खुशनुमा सुबह होगी
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो ...
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