तुलेश्वर सेन
देखो तो आज हर कोई बहुत परेशान हैं।
ऊपर से इंसान परंतु अंदर से शैतान हैं।।
रंगे कपड़े,रंगे शरीर माथे उनके तिलक चंदन।
बनावटी रूप देख लो तो लगे भगवान हैं।।
न खुद शांत हैं न औरों को शांत करते हैं।
आम आदमी से ज्यादा मौत से डरते हैं।।
ये लोग पद,पैसा,कुर्सी के लिए आपस में।
स्वयं से ही संघर्ष करते हुए ही मरते हैं।।
राजनीतिज्ञों को सत्ता और पैसों से प्यार है।
कुर्सी पाने के लिए करते अजीबो व्यवहार है।।
हरदम ही भटकती रहती है इनकी आत्माएं।
क्योंकि देश विदेश में फैला इनका व्यापार है।।
फिल्मों में न कोई मान मर्यादा न संस्कार है।
अश्लीलता और अंग प्रदर्शन का छाया बुखार है।।
नशा,अंधविश्वास,मुकदमा,फिजूल खर्ची से।
करो जी पड़ताल न बच सका कोई परिवार है।।
जितनी सुविधा उतनी दुविधा इंसानों ने बनाया है।
विज्ञान को चमत्कार समझकर अपनाया है।।
भौतिक सुख सुविधाओं की चक्कर में हमने।
जीवन से पहले ही मौत को गले लगाया है।।
सलोनी राजनांदगांव
इस अंक के रचनाकार
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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023
हम इंसान हैं या शैतान
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