रमेश चंद्र शर्मा
खून
जमा देने वाली जाड़े की रात ।सड़कों पर दूर-दूर तक पसरा सन्नाटा। घरों के
द्वार बंद। रोशनदान भी ठंडी हवा के डर से पैक। आधी रात के बाद अचानक
कुत्तों का भोंकना । पुलिस की वैन सायरन बजाते हुए तेजी से निकल गई।
कुत्तों का भोकना बंद हो गया ।वर्माजी के घर के बाहर काला मरियल कुत्ता
"कालू" कंपकंपी खाते हुए एक अंधेरे कोने में चिपका रहा। घर के पीछे रास्ते
से चोरों ने वर्माजी के घर पर धावा बोल दिया। परिवार के जागने पर मारपीट की
।कीमती सामान लेकर आगे के दरवाजे से भागने के लिए दरवाजा खोल दिया ।कालू
मौके की नजाकत भांप गया। वह पूरी ताकत से चोरों पर टूट पड़ा। चोरों ने लोहे
की रॉड से कालू को घायल कर चक्कर हो गए ।जल्दबाजी में चोरी का माल गिर
पड़ा। थोड़ी देर बाद वर्मा परिवार चिल्लाता हुआ बाहर निकला। चारों तरफ
कोहराम मच गया ।मोहल्ले वाले जाग गए। पुलिस को खबर की गई। घर की देहरी के
बाहर लहूलुहान कालू के पास चोरी किया हुआ मान मिल गया। कालू वहीं कोने में
दुबका कराहता रहा। किसी का उस पर ध्यान नहीं गया।
चोरी का पूरा माल बरामद हो जाने से सभी ने राहत महसूस की। यह चोरी मोहल्ले
में चर्चा का विषय बन गई। वर्मा परिवार कालू को निकम्मा मानने लगा।
उपेक्षित कालू अब घोर उपेक्षा का शिकार हो गया। बिना किसी उपचार एवं संभाल
के कालू ठीक होने लगा। मात्र पेट के खातिर वह वर्माजी की देहरी पर पड़ा
रहता।
मिसेस वर्मा " आजकल के कुत्ते भी नमक हराम हो गए हैं। जिस रात को चोर आए थे कालू के मुंह में ताले पड़ गए थे ।भौंका तक नहीं।"
वर्माजी " पेट भरा है। चोरों के पीछे दौड़ा तक नहीं। हमारी किस्मत अच्छी रही, चोर माल छोड़कर भाग गए।"
पड़ोसन " डरपोक है। इन आवारा कुत्तों से पालतू कुत्ते अच्छे। रोटी के लिए दिनभर पूछ हिलाता फिरता है।"
मिसेस
वर्मा " मरी हत्या हो रहा है। रात में बड़े कुत्तों से भिड़ गया होगा।
लहूलुहान कर दिया। घर के सामने मरेगा। फेंकना महंगा पड़ेगा।"
वर्मा परिवार और पड़ोसियों ने कालू को रोटी देना बंद कर दिया। आते जाते उसको दुत्कारने लगे।
रोज-रोज की प्रताड़ना और भूख से तंग आकर कालू ने वर्माजी की देहरी छोड़ दी
। भारी मन से लंगड़ाते हुए कालू दूसरे ठिकाने की तलाश में चल दिया।
इंदौर
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