चाहे सबसे,यारी रख।
हमसे दुनियादारी रख।
जीवन में थोड़ी - थोड़ी,
गम से साझेदारी रख।
रातों में मदहोशी पर,
दिन से दूर ख़ुमारी रख।
रस्ता, दूरी, मुश्किल में,
सब अपनी तैयारी रख।
अपनी - अपनी कहता है,
कुछ तो बात हमारी रख।
बहलाने मन को अपने,
यादें मीठी - खारी रख।
2
साथ अपने जहाँ मिल गए।
हाथ उनसे वहाँ मिल गए।
दूरियों का पता न चला,
रास्ते कब कहाँ मिल गए।
कट गया मुश्किलों का सफ़र,
लोग सब मेहरबाँ मिल गए।
जो तलाशे वहाँ दूर तक,
वो सभी अब यहाँ मिल गए।
था मिलेंगे किसी दौर में,
वो इसी दरमियाँ मिल गए।
ख़ुशनसीबी रही वास्ते,
फिर से हमकों जवाँ मिल गए।
साथ रहकर गए जो निकल,
फिर वही कारवाँ मिल गए।
हाल ऐसा हमारा रहा,
सख्त कुछ इम्तिहाँ मिल गए।
3
भले थोड़ी मुसीबत तो रही।
कहानी में हकीकत तो रही।
मिला उतना, लगाया जितना,
चलो इतनी गनीमत तो रही।
रहा कोई कहीं हो दूर पर,
उसे हमसे अकीदत तो रही।
बुलाये वो हमें या हम उसे,
सफ़र में ये जरूरत तो रही।
कभी मानी नहीं जिसकी कही,
हमें उसकी नसीयत तो रही।
बिताई जिंदगी हमनें जैसी,
अभी तक वो तबीश्अत तो रही।
4
अभी वो रात है बाकी
हमारी बात है बाकी।
अभी वो चाँद तारों की,
सजी बारात है बाकी।
जिसे पाया नहीं हमनें,
वही सौगात है बाकी।
हमारे सामने आकर,
रुके हालात है बाकी।
कभी सोचे, सुने हमनें,
सभी जज़्बात है बाकी।
किसी की जीत है बाकी,
हमारी मात है बाकी।
5
वास्ता आपसे पला करता।
सिलसिला उम्र भर चला करता।
मूंद कर आँख, चाँद सो जाता,
जब दिया रात भर जला करता।
लोग रुकते यहाँ,गुज़रने वाले,
पेड़ जब राह का फला करता।
देखकर दूर से उसे कहीं जाते,
हाथ अपने यहाँ मला करता।
हाथ आता वो किस तरह मौका,
पास आकर अगर टला करता।
दिल हमेशा नर्म ज़ुबाँ रखकर,
किस तरह सख्त फैसला करता।
अमझेरा धार म.प्र.
पिन 454441
मोबा. 9893119724
इस अंक के रचनाकार
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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023
नवीन माथुर पंचोली की गजलें
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