बात दिल की कहूँ दी इज़ाज़त ग़ज़ल
बन के माशूक़ है साथ में हर घड़ी
सब को देती कहाँ ऐसी किस्मत ग़ज़ल
हुस्न में कोई इसका न सानी कहीं
पास रखती है ऐसी नज़ाकत ग़ज़ल
इस ग़ज़ल का करूँ दिल से मैं शुक्रिया
कर रही है दिलों पर हुकूमत ग़ज़ल
हो गया इश्क़ है अब ग़ज़ल से मुझे
मेरी चाहत ग़ज़ल है मुहब्बत ग़ज़ल
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देख लूँ फिर कभी ज़िन्दगी में उसे
ख़्वाब कर दे कभी तू हक़ीक़त ग़ज़ल
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मीर ग़ालिब से ले कर "सुमन" आज तक
शाइरी की हसीं इक रिवायत ग़ज़ल
SUMAN YUSUFPURI
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