वीरु सदा शिव हैं गरल पीकर बाबा जी मौन रहते हैं, बिलग गुण,कर्म,कालों से जीव कंकर में रहते हैं। सदन शांति - शिवाला है बिना घर - घाट वाले का, बृषभ,सिंह,सर्प,मूषकके संग में रहते हैं ।।अर्जुनी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें