सुमन युसूफपुरी
रात कल इक कही ख़ूबसूरत गजल
बात दिल की कहूँ दी इजाजत गजल
बन के माशूक है साथ में हर घड़ी
सब को देती कहाँ ऐसी किस्मत गजल
हुस्न में कोई इसका न सानी कहीं
पास रखती है ऐसी नजाकत गजल
इस गजल का करूँ दिल से मैं शुक्रिया
कर रही है दिलों पर हुकूमत गजल
हो गया इश्क है अब गजल से मुझे
मेरी चाहत गजल है मुहब्बत गजल
देख लूँ फिर कभी जिन्दगी में उसे
ख्वाब कर दे कभी तू हकीकत गजल
मीर गालिब से ले कर सुमन आज तक
शाइरी की हसीं इक रिवायत गजल
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