प्रदीप कश्यप
दुश्मनों की तो शराफ़त भी बुरी होती है।
ये दिखावे की इनायत भी बुरी होती है।
दीन दुखियों को सताने से हुई जो हासिल।
पाप से भरपूर वो दौलत भी बुरी होती है।
जुर्म की राह पे जो तुम को चलाना चाहे।
ऐसे इंसान की इज्जत भी बुरी होती है।
प्यार में यार के जिस को न लुटा पाओ तुम।
इस तरह दिल की हिफ़ाज़त भी बुरी होती है।
पास रहने से हमें ज़ख्म मिला करते हैं।
दूर रहने की नसीहत भी बुरी होती है।
कोई तो बात ये समझा, मेरे इस दिल को।
बेवफ़ा यार की चाहत भी बुरी होती है।
मान लो बात हमारी भी ये अब तुम कश्यप।
जो बुरे उनकी तो सोहबत भी बुरी होती है।
इस अंक के रचनाकार
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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023
दुश्मनों की तो शराफ़त
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